Gyanvapi case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। ज्ञानवापी परिसर में मौजूद कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर आज हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे कराने को मंजूरी दी। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को आदेश दिया कि- “शिवलिंग के अपर पार्ट का सर्वे करें। सर्वे के लिए सैंपल लेते समय 10 ग्राम से ज्यादा हिस्सा उसमें से न लिया जाए।”
17 अप्रैल को हुई थी सुनवाई
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में 17 अप्रैल को ज्ञानवापी मामले में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को निर्देश दिया था कि वजू की कोई व्यवस्था करें। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि आगामी दिनों में जिलाधिकारी बैठक करके उचित फैसला करेंगे।
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क्या है कार्बन डेटिंग और इसकी प्रक्रिया?
एक रिपोर्ट के मुताबिक कार्बन डेटिंग किसी भी चीज की सही उम्र का पता लगाने के लिए की जाती है। कार्बन डेटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल खास तौर पर पुरातत्व विभाग की ओर से किया जाता है। क्योंकि खोज में मिलने वाली मूर्तियों और ढांचों की सही उम्र का पता लगाया जाता है। दावा किया जाता है कि जिस भी चीज में कार्बन होता है, उसकी उम्र के लिए कार्बन डेटिंग की जाती है।
क्या है मामला ?
बता दें कि यह शिवलिंग ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 2022 को वुजूखाने में मिला था। जहां हिंदू पक्ष का कहना है कि ये शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि वजू (हाथ धोने का स्थान) का फुव्वारा है। इस मामले में वाराणसी जिला जज ने कार्बन डेटिंग की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया था। जिसके बाद से ये मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
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