CM Yogi: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ(CM Yogi Adityanath) का भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का प्रहार बदस्तूर जारी है। उनकी सत्ता में कोई कितना बड़ा अधिकारी क्यों न हो, कभी भी चैन से निश्चिंत नहीं हो सकता। इसी गवर्नेंस का एक बार फिर सीएम योगी ने उदाहरण पेश करते हुए मुरादाबाद के चार तथा गाजियाबाद के तीन अफसरों सहित सात को नाप दिया और मुरादाबाद-गाजियाबाद के जमीन घोटाले में जांच शुरु करा दी।
जानें क्या था मामला
आपको बता दें मुरादाबाद के तीन बड़े अधिकारियों संपत्ति प्रबंधक अमित शुक्ला,अधीक्षण अभियंता प्रमोद कुमार तथा उप आवास आयुक्त लक्ष्मण प्रसाद ने मुरादाबाद की आवास विकास परिषद की मझोला आवासीय परियोजना में करोड़ो रुपए की बेशकीमती जमीन नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेतों को औने-पौने दाम पर आवंटित कर दी। जानकारी के मुताबिक जिस जमीन को अपने चहेतों को आवंटित किया वह कॉमर्शियल जमीन थी जिसको नियमानुसार ई-नीलामी के जरिए ही आवंटन होना चाहिए। इसकी बजाय इन तीनों अधिकारियों ने इन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपने चहेते बिल्डरों को वेस प्राइस पर ही बेच कर सरकार को चूना लगा दिया। जबकि नीलामी होती तो हाउसिंग बोर्ड को बड़ी आमदनी होती।
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जानें कैसे फंसे योगी के चंगुल में
आपको बता दें उक्त तीनों अफसर इस तरह के क्रियाकलापों में लंबे समय से लिप्त थे और इसी तरह जमीनों में बड़ा खेल करने के आदी हो चुके थे। जिनकी शिकायतें लखनऊ मुख्यालय तक पहुंच गई थी। मामला सीएम योगी के संज्ञान में आते ही इन पर कार्रवाई का हंटर चला दिया गया और तत्काल प्रभाव से निलंबित कर इन अफसरों को संबद्ध कर घोटाले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। इसी तरह के एक और जमीन घोटाले के मामले में गाजियाबाद के भी चार अफसरों को फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी पर रजिस्ट्री करने के आरोप में चार अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया था।
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