Sambhal Violence: यूपी के संभल में हुई हिंसा को लेकर आरो-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू हो चुकी है। एक ओर सरकार है तो दूसरी तरफ विपक्ष। दोनों एक-दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं। विपक्ष की ओर से पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आज अपनी तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। दरअसल, सपा का एक प्रतिनिधिमंडल आज संभल (Sambhal) जाने वाला था। इसमें इकरा हसन, सांसद हरेन्द्र मलिक और सांसद जियाउर्रहमान बर्क जैसे नेता शामिल थे।
हालांकि, संभल पहुंचने से पहले ही प्रशासन ने नियम-कानून का हवाला देकर सपा नेताओं को रोक दिया। इसको लेकर अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। विपक्षी नेताओं के तमाम आरोपों के बीच यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) की प्रतिक्रिया भी आई है। ब्रजेश पाठक ने भी संभल हिंसा (Sambhal Violenece) में सपा नेताओं की भूमिका पर गंभील सवाल खड़ा कर दिए हैं।
Sambhal Violence पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू!
पश्चिमी यूपी के संभल जिले में बीते रविवार (24 नवंबर) को हिंसा हुई थी। ये हिंसा शाही जामा मस्जिद में हुए सर्वे के दौरान हुई थी। संभल हिंसा (Sambhal Violence) को आज 6 दिन हुए लेकिन अभी जिले में तनाव की स्थिति बरकरार है। संभल के विभिन्न हिस्सों में पुलिस तैनात है। प्रशासनिक तैनाती से इतर संभल हिंसा को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू है।
स्थानीय सांसद जियाउर्रहमान बर्क (MP Zia Ur Rehman Barq) को पुलिस ने दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर रोका है। सांसद जियाउर्रहमान बर्क का कहना है कि “पुलिस ने हमें रोका है। मैं इसकी निंदा करता हूं। जनता की आवाज कौन उठाएगा? अगर पुलिस, प्रशासन जनता के खिलाफ खड़ा है तो विपक्ष की जिम्मेदारी है कि उनकी मदद करे। हम संभल हिंसा की रिपोर्ट अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को देना चाहते हैं, लेकिन सरकार, पुलिस की करतूतों को छिपाने के लिए यह कर रही है।”
मुजफ्फरनगर से सांसद हरेन्द्र मलिक (Harendra Malik) को भी उनके समर्थकों के साथ संभल जाने से रोका गया है। हरेन्द्र मलिक का कहना है कि “उन्होंने हमें रोका है और कह रहे हैं कि अधिकारी हमसे बात करेंगे। प्रोटोकॉल के मुताबिक, सांसद के साथ बर्ताव किया जाना चाहिए। हमें एसीपी के साथ बातचीत करने से रोक दिया गया है। हम एसीपी के आने का इंतजार कर रहे हैं।”
कैराना से लोकसभा सांसद और सपा नेत्री इकरा मुनव्वर हसन (Iqra Munawwar Hasan) को पुलिस ने हापुड़ में रोक लिया है। सांसद इकरा मुनव्वर हसन का कहना है कि ”संभल घटना की जानकारी समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को देने के लिए समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल संभल जा रहा था। लेकिन हमें रोक दिया गया। समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल जगह-जगह रोका जा रहा है। वे हमें संभल जाने से कैसे रोक सकते हैं? हम इस मुद्दे को संसद में भी उठाएंगे।”
Akhilesh Yadav ने सरकार पर साधा निशाना
पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने संभल में सपा प्रतिनिधिमंडल की एंट्री बैन होने पर प्रतिक्रिया जाहिर की है। अखिलेश यादव के आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट जारी कर लिखा गया है कि “प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता। भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देते हैं, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साज़िशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए, सच्ची कार्रवाइ करके बर्ख़ास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुक़दमा भी चलना चाहिए।”
डिप्टी सीएम Brajesh Pathak ने Sambhal Violence को लेकर सपा पर उठाए सवाल
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) ने संभल में हुई हिंसा को लेकर सपा की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिए हैं। ब्रजेश पाठक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को अपने मामलों पर गौर करना चाहिए। संभल की घटना समाजवादी पार्टी द्वारा संरक्षित अपराधियों के कारण हुई। संभल के सभी अपराधी समाजवादी हैं। अखिलेश यादव को लोगों से माफी मांगनी चाहिए। हम वहां कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखेंगे।”
10 दिसंबर तक संभल में नो एंट्री!
प्रशासन ने एहतियात के तौर पर संभल में धारा 163 लागू कर रखा है। ऐसे में किसी भी तरह के राजनीतिक या सार्जनिक कार्यक्रम के आयोजन पर 10 दिसंबर तक रोक रहेगी। इस दौरान संभल में नेताओं का दौरा भी प्रतिबंधित रहेगा। प्रशासन की ओर से ये कदम एहतियात के तौर पर उठाए गए हैं ताकि संभल हिंसा के कारण बिगड़ी स्थिति को सामान्य किया जा सके।