Devshayani Ekadashi 2024: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ने वाले महत्वपूर्ण देवशयनी एकादशी का व्रत आज यानी 17 जुलाई को है। इस दिन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाली महिलाएं व्रत रखती हैं और पवित्र नदियों में आस्था की डूबकी लगाकर भगवान विष्णु का ध्यान करती हैं।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भी आज देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) का व्रत रखा गया है। इस दौरान अयोध्या (Ayodhya) में स्थित सरयू नदी और प्रयागराज (Prayagraj) में पवित्र गंगा नदी के तट पर महिलाओं ने आस्था की डूबकी लगाई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज से ही ‘चातुर्मास’ प्रारंभ होगा और इस दौरान विवाह, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
देवशयनी एकादशी पर आस्था की डूबकी
उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आज देवशयनी एकादशी के दिन व्रती महिलाओं द्वारा, पवित्र नदियों के तट पर आस्था की डूबकी लगाई जा रही है। इसी क्रम में ‘रामनगरी’ अयोध्या में भी खूब चहल-पहल नजर आई।
अयोध्या में स्थित सरयू नदी के तट पर व्रती महिलाओं ने आस्था की डूबकी लगाई और भगवान विष्णु के ध्यान में मग्न हो गईं। वहीं प्रयागराज में भी गंगा नदी के तट पर व्रती महिलाओं को आस्था की डूबकी लगाते और पूजन करते देखा गया।
देवशयनी एकादशी का महत्व
देवशयनी एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन से भगवान विष्णु चार महीनों के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जागते हैं। यही वजह है कि इन चार महीनों को ‘चातुर्मास’ कहा जाता है और लोग इन दिनों में विवाह, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं करते हैं। इस अवधि को भगवान विष्णु का शयनकाल भी कहा जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु के शयनकाल में जाने के बाद सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं और इसी कारण चातुर्मास के चार महीनों में शिवजी की उपासना फलदाई मानी गई है।