Ghosi Bypolls: बीते दिन यानी 8 सितंबर को 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित हुए। इसमें त्रिपुरा और उत्तराखंड की विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की तो वहीं केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड और यूपी के घोसी विधानसभा सीट पर विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। इसको लेकर कहा गया कि यह विपक्षी दलों के जीत की शुरूआत है।
हालाकि इस क्रम में सबसे चर्चित रही यूपी की घोसी (Ghosi) विधानसभा सीट जिसको लेकर कई सियासी मायने भी जताए गए। बता दें कि घोसी की सीट पर हुए उपचुनाव में सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 40000 से ज्यादा मतों के अंतर से हराया। इस चुनाव में सपा की ओर से सारी जिम्मेदारी कद्दावर नेता शिवपाल सिंह यादव संभाल रहे थे। वहीं भाजपा की ओर से संगठन के प्रदेश अध्यक्ष, संगठन महामंत्री समेत सूबे के कई कैबिनेट मंत्री भी थे जिन्होंने इस दौरान घोसी का दौरा किया था। इसमें सुभासपा के नेता ओम प्रकाश राजभर का भी नाम शामिल है जिन्होंने बीते महीने ही भाजपा की सदस्यता ली और जमकर घोसी की सीट (Ghosi Bypolls) पर प्रचार किया। अब भाजपा की हार के बाद से इसे ओम प्रकाश राजभर से जोड़ कर देखा जा रहा है तो वहीं सपा की जीत में शिवपाल यादव के अथक प्रयासों व कुशल रणनिती का जिक्र किया जा राह है।
सफल हुई शिवपाल की रणनिती
बता दें कि सपा के कद्दावर नेता और नेताजी मुलायम सिंह के साथ काम करने का अनुभव रखने वाले शिवपाल यादव को सपा ने घोसी सीट की जिम्मेदारी दी थी। इस सीट के लिए प्रत्याशी चयन से लेकर अन्य सभी प्रकार के कार्यक्रम उन्हीं की दिशा निर्देश में हुए थे। इस संबंध में कहा जा रहा है कि सपा आपसी पारिवारिक कलह को मिटा कर अगर लड़े तो इसे जीतने से कोई नहीं रोक सकता। इस जीत के साथ ही शिवपाल यादव ने एक बर फिर अपना कद मजबूत किया है और अपनी रणनितीक क्षमता से लोगों को परिचित कराया है। बता दें कि शिवपाल के नेतृत्व में सपा ने घोसी में डोर टू डोर संपर्क कर सपा प्रत्याशी को जीताने की अपील की थी। वहीं शिवपाल ने चुनाव जीतने के साथ ही सपा जिंदाबाद और अखिलेश यादव जिंदाबाद के साथ अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट कर सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है।
पहली परीक्षा में असफल नजर आए ओम प्रकाश राजभर
यूपी की राजनिती में एक मजबूत पिछड़े नेता के रुप में अपनी पहचान बना चुके सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर इस लड़ाई में शिवपाल यादव से पिछड़ गए। भाजपा ने इस उपचुनाव में अपनी भरपूर ताकत झोंकी थी। इसमें ओम प्रकाश राजभर ने भी अहम भूमिका निभाई। मंचों से राजभर ये लगातार कहते रहे कि घोसी में दारा सिंह चौहान नहीं बल्कि ओम प्रकाश राजभर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनकी ये अपील काम न आ सकी। बता दें कि ओम प्रकाश राजभर बीते महीने ही सपा का साथ छोड़कर भाजपा के साथ आए हैं और कहा जा रहा था कि भाजपा ने उन्हें इस चुनाव की जिम्मेदारी दी थी जिसके बाद से उन्हें मंत्रिमंडल में भी समायोजित किया जाता। पर शिवपाल व समाजवादी पार्टी की रणनिती के सामने ओम प्रकाश राजभर और भाजपा कहीं नहीं टिक सकी और उसे पराजय हाथ लगी।
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