Ghaziabad News: गाजियाबाद के चार ब्लॉकों में आने वाले दिनों में पानी की किल्लत हो सकती है। इन ब्लॉकों के भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है, जो यहां के लोगों के लिए खतरे की एक बड़ी घंटी है। इस स्थिति से अवगत अधिकारियों ने बताया कि गाजियाबाद जिले के चार ब्लॉकों में भूजल स्तर में चिंताजनक गिरावट देखी गई है, इन ब्लॉकों में गाजियाबाद शहर, राजापुर, लोनी और भोजपुर शामिल हैं।
इन चार ब्लॉकों में गिरा भूजल स्तर
हिंदुस्तान टाइम्स ने उत्तर प्रदेश भूजल विभाग के अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट छापी है। रिपोर्ट में बताया गया है की उत्तर प्रदेश भूजल विभाग के अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, भोजपुर ब्लॉक में भूजल स्तर 2019 की मानसून अवधि के दौरान जमीनी स्तर (MBGL) से 13.89 मीटर नीचे से गिरकर 2022 की इसी अवधि में 13.92 MBGL (Depth in Meters Below Ground Level) हो गया है।
राजापुर ब्लॉक में स्थिति सबसे ज्यादा खराब
इन ब्लॉकों में सबसे ज्यादा राजापुर ब्लॉक प्रभावित हुआ है, जहां लगभग 8 MBGL गिरावट दर्ज की गई है। इसी तरह, लोनी में भूजल स्तर 20.94 MBGL से गिरकर 24.16 एमबीजीएल हो गया है, जबकि राजापुर में इसी अवधि के दौरान स्तर 19.82 एमबीजीएल से गिरकर 28.76 एमबीजीएल पर पहुंच गया है।
इसके साथ ही मुरादनगर ब्लॉक में पिछले वर्षों की तुलना में 2022 की मानसून अवधि के दौरान भूजल की स्थिति में सुधार देखा गया है। 2019 के मानसून में ये स्तर 5.84 MBGL था, जो अब बढ़कर 2022 में 4.59 MBGL हो गया है।
क्या कहते हैं भूजल विभाग के आंकड़े
पिछले साल उत्तर प्रदेश भूजल विभाग (Uttar Pradesh Ground Water Department) द्वारा जारी 2022 भूजल मूल्यांकन रिपोर्ट में लोनी, रजापुर, भोजपुर और गाजियाबाद शहर के चार ब्लॉकों को “अत्यधिक दोहित” और मुरादनगर ब्लॉक को “अर्ध गंभीर” के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
‘अति-शोषित’ इकाइयां उन क्षेत्रों को दर्शाती हैं जहां भूजल निकासी वार्षिक पुनःपूर्ति योग्य भूजल पुनर्भरण से अधिक है। इन क्षेत्रों में भूजल दोहन 100 प्रतिशत से अधिक है। वहीं, ‘अर्ध-महत्वपूर्ण’ इकाइयां वे हैं जहां भूजल दोहन 70% से 90% के बीच होता है।
इन वजहों से गिर रहा भूजल स्तर
शहर के पर्यावरणविद विक्रांत शर्मा ने कहा, “इन क्षेत्रों में अनधिकृत कॉलोनियों का अनियंत्रित विस्तार भूजल स्तर में गिरावट के लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार है। यहां बड़े पैमाने पर पानी का दोहन हो रहा है, जो सबमर्सिबल पंपों के अनियंत्रित उपयोग की देन है। इससे समस्या और गंभीर होती जा रही है। इसके अलावा, इन क्षेत्रो में रेन वाटर हार्वेस्टिंग इकाइयों का सही ढंग से पालन नहीं किया जा रहा है, जो समस्या को और बढ़ा देती है।”
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