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Hathras Tragedy: छेड़खानी का अभियुक्त सूरजपाल जाटव कैसे बना ‘बाबा’? जानें हाथरस सत्संग में कथावाचक की कहानी

Hathras Tragedy: हाथरस के फुलरई गांव में 2 जुलाई को हुए सत्संग में कथावायक रहे सूरजपाल जाटव उर्फ 'भोले बाबा' दशकों पहले छेड़खानी के एक मामले में अभियुक्त रहे हैं।

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Hathras Tragedy
फाइल फोटो- सूरजपाल जाटव 'भोले बाबा' (प्रतीकात्मक)

Hathras Tragedy: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मंडल में स्थित हाथरस जिला इन दिनों खूब चर्चाओं में है। दरअसल हाथरस के फुलरई गांव में बीते 2 जुलाई को मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम समिति द्वारा एक सत्संग का आयोजन किया गया था। इस सत्संग में ‘भोले बाबा’ नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल जाटव बतौर कथावाचक शामिल हुए थे। हाथरस (Hathras Tragedy) में आयोजित किए गए इस सत्संग में लाखों की संख्या में भीड़ जुट गई जिसके कारण भगदड़ मचा और 100 से ज्यादा लोगों की जान गई।

हाथरस में हुए इस हादसे के बाद सत्संग के प्रमुख कथावाचक ‘भोले बाबा’ उर्फ नारायण साकार हरि को लेकर खूब सुर्खियां बन रही हैं। जानकारी के मुताबिक नारायण साकार हरि पूर्व में सूरजपाल जाटव के नाम से जाने जाते थे और इन पर छेड़खानी से जुड़ा एक मामला भी दर्ज हुआ था जिसके कारण इन्हें पुलिस सेवा से निलंबन की सजा मिली थी। ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर कैसे छेड़खानी का एक अभियुक्त सूरजपाल जाटव देखते ही देखते अपान साम्राज्य खड़ा कर ‘भोले बाबा’ बन गया।

छेड़खानी का अभियुक्त सूरजपाल जाटव कैसे बना ‘बाबा’?

हाथरस हादसा में कथावाचक रहे ‘भोले बाबा’ उर्फ नारायण साकार हरि पूर्व में यूपी प्रशासनिक विभाग में अपनी सेवा दे चुके हैं। जानकारी के मुताबिक नारायण साकार हरि का जन्म एटा जिले से अलग हुए कासगंज जिले के बहादुरपुर गांव में हुआ था। शुरुआती दिनों में उन्होंने अपने मेहनत की बदौलत यूपी पुलिस में कॉन्सटेबल के पद पर नौकरी पाई और स्थानीय अभिसूचना इकाई (LIU) में तैनात रहे।

यूपी पुलिस में नौकरी के दौरान ही सूरजपाल जाटव को छेड़खानी के एक मामले में अभियुक्त होने के कारण निलंबन की सजा मिली। इसके बाद उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। छेड़खानी के मामले में निलंबन के बाद उन्हें एटा जेल में काफी लंबे समय तक बंद रखा गया। इसके बावजूद सूरजपाल जाटव ने कोर्ट का सहारा लिया और अंतत: कानूनी प्रक्रिया की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद उनकी नौकरी बहाल हो गई। सूरजपाल ने नौकरी बहाल होने के बाद 2002 में आगरा जिले में तैनाती के दौरान ही स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्‍कीम (VRS) ले लिया और अपने गांव नगला बहादुरपुर पहुंच गए।

सूरजपाल जाटव ने इसके बाद लोगों के बीच पहुंच कर ईश्वर से संवाद करने का दावा किया और देखते ही देखते ‘भोले बाबा’ के रूप में ख्याति प्राप्त करने लगे। स्थिति ये हुई कि कुछ ही वर्षों में ‘भोले बाबा’ के नाम पर बड़े-बड़े आयोजन शुरू हो गए और इसमें लाखों लोग शरीक होने लगे। इस तरह से यूपी पुलिस में कॉन्सटेबल रहे सूरजपाल जाटव ने ‘बाबा’ बनने तक का सफर पूरा किया।

वर्तमान की बात करें तो ‘भोले बाबा’ उर्फ नारायण साकार हरि के पास यूपी व राजस्थान के कई जिलों में आश्रम होने का दावा है। यूपी के मैनपुरी में ही कई एकड़ में फैले उनके आश्रम पर भारी संख्या में भक्त जुटते हैं और उनका सानिध्य प्राप्त करते हैं।

Hathras Tragedy के बाद फरार हैं ‘बाबा’

हाथरस में 2 जुलाई को सत्संग के दौरान मचे भगदड़ में सैकड़ों लोगों की जान चली गई। इस हादसे के बाद प्रशासन ने आनन-फानन में सत्संग के आयोजक देव प्रकाश मधुकर व अन्य अज्ञात लोगों पर गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर लिया है। हालाकि प्रशासन ने ‘भोले बाबा’ उर्फ नारायण साकार हरि के खिलाफ कोई मामला नहीं दर्ज किया है।

प्रशासन का दावा है कि मामले में जांच के बाद आवश्यकतानुसार कदम उठाए जाएंगे। हालाकि ‘भोले बाबा’ फिर भी हाथरस हादसे के बाद से फरार बताए जा रहे हैं। उन्होंने अपना पक्ष रखने के लिए चर्चित वकील एपी सिंह को चुना है। अब देखना दिलचस्प होगा कि नारायण साकार हरि कब तक प्रत्यक्ष रूप से सामने आते हैं और अपना पक्ष स्वयं रखते हैं।

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