Kanwar Yatra 2024: 22 जुलाई 2024, दिन सोमवार से सावन का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। ये महीना भगवान भोलेनाथ के भक्तों व सनातन संस्कृति में आस्था रखने वाले लोगों के लिए बेहद खास है। दरअसल इस महीने में देश के विभिन्न हिस्सों में भगवान भोलेनाथ के भक्त अपने कंधे पर कांवड़ और गंगा जल लेकर कांवड़ यात्रा निकालते हैं और प्राचीन शिवालयों में जाकर बाबा भोलेनाथ की पूजा करते हुए जलाभिषेक करते हैं।
उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2024) को लेकर विशेष तरह की तैयारी की जा रही है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज निर्देश जारी कर स्पष्ट किया है कि कांवड़ रूट में पड़ने वाले सभी दुकानों पर दुकान संचालकों एवं सहकर्मियों के नाम होने चाहिए। योगी सरकार के इस निर्देश को लेकर अब मामला बढ़ता जा रहा है और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी, जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी, बसपा सुप्रीमो मायावती व राष्ट्रीय लोक दल के प्रवक्ता रामाशीष राय ने यूपी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है।
योगी सरकार पर बरसे विपक्षी नेता
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आज स्पष्ट किया है कि कांवड़ रूट में पड़ने वाले सभी दुकानों पर दुकान संचालकों एवं सहकर्मियों के नाम लिखे होने चाहिए। इसके बाद से सूबे में विभिन्न नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आई है। समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव का कहना है कि ऐसे आदेश पूरी तरह से खारिज होने चाहिए। शासन-प्रशासन का ये कदम विभाजनकारी है और इस तरह के फैसलों से सामाजिक सौहार्दय पर असर पड़ता है।
कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी ने भी ‘योगी सरकार’ के इस फैसले पर सवाल खड़ा किया है। प्रियंका गांधी का कहना है कि “हमारा संविधान हर नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं होगा। उत्तर प्रदेश में ठेलों, खोमचों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझी विरासत पर हमला है। समाज में जाति और धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करना संविधान के खिलाफ अपराध है। यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और जिन अधिकारियों ने इसे जारी किया है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने भी योगी सरकार के इस फैसले की निंदा की है। BSP सुप्रीमो का कहना है कि “यूपी व उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कावंड़ मार्ग के व्यापारियों को अपनी-अपनी दुकानों पर मालिक व स्टाफ का पूरा नाम प्रमुखता से लिखने व मांस बिक्री पर भी रोक का यह चुनावी लाभ हेतु आदेश पूर्णतः असंवैधानिक। धर्म विशेष के लोगों का इस प्रकार से आर्थिक बायकाट करने का प्रयास अति-निन्दनीय।”
RLD, JDU व LJP ने भी सरकार को घेरा
केन्द्र में भाजपा की सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रीय लोक दल (RLD) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP-रामविलास) ने भी यूपी में योगी सरकार को घेरा है। योगी सरकार के निर्देश पर RLD प्रवक्ता रामाशीष राय का कहना है कि ये फैसला संप्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है। प्रशासन इसे वापस लें यह गैर संवैधानिक फैसला है।
जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि “इससे बड़ी कांवड़ यात्रा बिहार में निकलती है और वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है। प्रधानमंत्री की जो व्याख्या है, ‘सबका साथ-सबका-विकास- सबका विश्वास’ वो भारतीय समाज और एनडीए के बारे व्याख्या है। ऐसे में योगी सरकार को इस नियम पर पुनर्विचार करना चाहिए।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चीफ और केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने संमाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि “मैं 21वीं सदी का शिक्षित युवा हूं और मेरी लड़ाई जातिवाद व सांप्रदायिकता के खिलाफ है। ऐसे में मैं इस तरह के फैसलों का न तो समर्थन करूंगा और न ही बढ़ावा दूंगा।”