Lucknow News: उत्तर प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में अब शिक्षकों और छात्रों की हाजिरी बायोमेट्रिक से दर्ज की जाएगी। उपस्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उच्च शिक्षा विभाग ने ये आदेश जारी किया है। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
इकोनॉमिक्स टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, बायोमेट्रिक मशीनों के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करना अब अनिवार्य कर दिया गया है। पहले ये व्यवस्था 2022 में राज्य के विश्वविद्यालयों में शुरू की गई थी। लेकिन, इस साल की शुरुआत में सरकारी डिग्री कॉलेजों में भी इसे शुरू करने का निर्णय लिया गया था। अब इसे अनिवार्य कर दिया गया है।
हर कॉलेज में अनिवार्य हुई बायोमेट्रिक अटेंडेंस
दरअसल, विश्वविद्यालयों में जब ये व्यवस्था लागू हुई थी तो कुलाधिपति यानी राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों के मासिक वेतन में बायोमेट्रिक उपस्थिति को जोड़ने के निर्देश भी जारी किए थे। ये सिस्टम अब कॉलेजों में भी लागू होगा।
हर हाल में लागू करनी होगी नई व्यवस्था
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो, सरकारी सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों को ये व्यवस्था हर हाल में लागू करने को कहा गया है। उच्च शिक्षा निदेशक, प्रोफेसर ब्रह्मा देव ने बताया की उच्च शिक्षा विभाग ने सभी कॉलेजों को इस संबंध में एक पत्र लिखा है। जिसमें इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
उच्च शिक्षा निदेशक ने बताया कि कॉलेज प्राचार्यों को बताया गया है कि हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के नेतृत्व में अनुदानित महाविद्यालयों के प्रमुखों की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
यूपी में हैं 331 सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेज
आदेश के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों को बायोमेट्रिक मशीनें स्थापित करने की व्यवस्था करनी होगी, जहां कर्मचारी और छात्र उंगलियों के निशान के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे। व्यवस्था इस तरह से की जानी है कि उनकी उपस्थिति का रिकॉर्ड सीधे कॉलेजों के सेंट्रल सर्वर सिस्टम पर अपलोड हो जाए। बता दें कि यूपी में 331 सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेज हैं।
सरकार के इस कदम की हो रही आलोचना
सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए, लखनऊ यूनिवर्सिटी एसोसिएटेड कॉलेजेज टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, मनोज पांडे ने कहा, “विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में बायोमेट्रिक शुरू करने से संबंधित सरकारी आदेश केवल कर्मचारियों तक ही सीमित था। यह पहली बार है जब छात्रों को भी बायोमेट्रिक मशीनों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए कहा गया है। यह सौतेला व्यवहार है।”
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