Prayagraj News: हर किसी भारतीय को भारत में रहने, शिक्षा ग्रहण करने और आवागमन जैसी अन्य प्रकार की स्वतंत्रता संविधान में लिखित है। देखा जाए तो भारत के संविधान में लिखित अनुच्छेद 15 में किसी भी जाति, धर्म, लिंग के आधार पर भेदभाव न करने की बात कही गयी है। इसी स्वतंत्रता के संदर्भ में खबर इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से आ रही है। खबरों की मानें तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबकी आजादी की बात करते हुए विपरीत जाति, धर्म वाले बालिग जोड़े को भी एक साथ रहने की बात कही। कोर्ट के मुताबिक बालिग जोड़े पर अब किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप स्वतंत्रता का उलघन माना जायेगा। ऐसे में माता-पिता सहित परिवार के अन्य लोग अब लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले बालिग जोड़े को रोक टोक नहीं कर सकेंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट फैसले में क्या कहा
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतरजातीय धर्म वाले जोड़े को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा- “ सभी को देश में रहने की आजादी दी गयी है। किसी भी बालिग जोड़े को शादी करने और स्वतंत्रापूर्वक एक साथ रहने का अधिकार है। इस पर किसी का भी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा। चाहें वह जोड़े के माता-पिता ही क्यों न हों। यह अधिकारी उन्हें भारतीय संविधान देता है। अगर कोई परिवार-जन जोड़े पर जबरदस्ती आजादी छीनने की कोशिश करेगा तो यह आर्टिकल 19 और आर्टिकल 21 का उलंघन माना जायेगा।
न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह ने याचिका पर सुनवाई करते हुए लिया फैसला
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह फैसला न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह ने लिया दरअसल वह उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के रहने वाली रजिया सहित अन्य के याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बड़ा फैसला लिया। दरअसल याचिकाकर्ता का कहना था, कि हम दोनों बालिग हैं, हमें आगे चलकर भविष्य में एक साथ रहना है और शादी भी करना है। खबरों की मानें तो याचिकाकर्ता के परिवार वाले इस शादी और लिव इन रिलेशनशिप में रहने को लेकर नाखुश हैं।
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