Noida Airport: नोएडा के जेवर में बन रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) के चलते अब वन्य जीव प्रभावित नहीं होंगे। वन विभाग जल्द ही वन्य जिवों के लिए एनिमल रेस्क्यू सेंटर यानी रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाएगा। धनौरी वेटलैंड के नजदीक इस एनिमल रेस्क्यू सेंटर का निर्माण किया जाएगा। जिस पर 5.40 करोड़ की लागत आएगी। जबकि 6 महीने में इसका काम पूरा हो जाएगा।
एयरपोर्ट निर्माण से प्रभावित हो रहे वन्य जीव
वन्य जीवों के पुनर्वास पर भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट से इस बात की जानकारी मिली है। दरअसल, जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पहले चरण का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इसके लिए हजारों हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत की गई थी। जमीन अधिग्रहण से पहले प्रभावित क्षेत्र में वन्य जीवों की उपस्थिति एवं उनके पुनर्वास के लिए भारतीय वन्य जीव संस्थान को रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। इसी रिपोर्ट से रिहैबिलिटेशन सेंटर की बात सामने आई है।
रिपोर्ट में ये जानकारी आई सामने
संस्थान की रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रभावित क्षेत्र में काले हिरण, नील गाय व सारस आदि का प्रवास है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण से इन वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाएगा। वन्य जीवों के पुनर्वास एवं सरंक्षण के लिए कार्ययोजना तैयार की गई थी। इसमें एनिमल रेस्क्यू सेंटर एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर का निर्माण शामिल था। एयर कार्गो के जरिये आने वाले जीवों को भी इस केंद्र में रखा जा सकेगा।
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वन्य जीवों के कारण निर्माण में आ रही दिक्कत
वहीं, वन्य जीवों के कारण नोएडा एयरपोर्ट के निर्माण में भी दिक्कत आ रही है। निर्माण साइट पर भारी मशीनरी व श्रमिकों की मौजूदगी है। साइट पर वन्य जीवों के कारण हादसे की आशंका को देखते हुए विकास कर्ता कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. ने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. (नियाल) को पत्र लिखकर वन्य जीवों के पुनर्वास का आग्रह किया था।
वन विभाग करेगा रिहैबिलिटेशन सेंटर का निर्माण
नागरिक उड्डयन विभाग ने एनिमल रेस्क्यू सेंटर एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर के निर्माण की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी है। 5.40 करोड़ में से 4.5 करोड़ रुपये एनिमल रेस्क्यू सेंटर एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर के निर्माण पर खर्च होंगे। इसके अलावा 90 लाख रुपये धनौरी वेटलैंड पर खर्च किए जाएंगे। इसका निर्माण दस हेक्टेयर जमीन पर होगा। इसमें पांच हेक्टेयर जमीन वन विभाग के पास है। शेष पांच हेक्टेयर जमीन यमुना प्राधिकरण वन विभाग को निशुल्क उपलब्ध कराएगा।
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