Mukhtar Ansari: बाहुबली माफिया पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की कल बुधवार 17 मई 2023 को गैंगस्टर मामले में बाराबंकी की विशेष एमपी एमएलए कोर्ट में वीडियो कॉंफ्रेंस के जरिए पेशी हुई। तो वहीं दूसरी ओर कल ही उसे साल 2009 के हत्या के प्रयास के एक और मामले में गाजीपुर की विशेष अदालत ने बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया। गाजीपुर की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट के जस्टिस दुर्गेश पांडें ने भी वर्चुअल सुनवाई करते हुए साक्ष्यों के अभाव में उसे बरी कर दिया। बता दें बाहुबली माफिया इस समय यूपी की बांदा मंडल जेल में बंद है और उसे गैंगस्टर के एक मामले में 10 साल की सजा और 5 लाख रुपए का जुर्माना हो चुका है।
जानें क्या थे मामले
बता दें हत्या के डर से पेशी पर बार-बार न आने की गुहार लगा रहे बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी की कल के दिन दो मामलों में वीडियो कॉंफैंसिग से पेशी बांदा जेल से पेशी हुई। बाराबंकी तथा गाजीपुर की विशेष कोर्टों में ये पेशी की गईं। बाराबंकी कोर्ट के मामले में अंसारी के वकील रणधीर सिंह सुमन के मुताबिक जस्टिस कमलकांत श्रीवास्तव के सामने पेशी के दौरान मुख्तार ने एक बार फिर से खुद को बेकसूर बताया। वकील ने कहा कि पंजाब की रोपड़ जेल में बंदी के समय निजी एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन मामले में वह विधायक था। तो तब तो राज्य सरकार की सहमति के बगैर उस पर केस हो ही नहीं सकता था। जब मामला सामने आया तब अंसारी, डॉ अलका राय और उनके हॉस्पिटर से डायरेक्टर सहित कई लोगों के खिलाफ जालसाजी का केस दर्ज किया गया। इसके बाद अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 मई 2023 की तारीख नियत कर दी है।
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गाजीपुर कोर्ट ने किया बरी
तो दूसरी ओर गाजीपुर की विशेष कोर्ट ने 2009 के हत्या के प्रयास धारा 307 के एक मुकदमे में मुख्तार अंसारी को सबूतों के अभाव बरी कर दिया। बता दें मीर हसन ने मोहम्दाबाद कोतवाली में सोनू यादव के खिलाफ हत्या का एक मुकद्मा दर्ज किया था। इस केस में मुख्तार के वकील लियाकत अली ने दलील देते हुए कहा कि उनका मुवक्किल तो 2005 से ही जेल में बंद था। जबकि केस 2009 में किया गया। इस मामले की ADGC क्रिमिनल एमपीएमएलए कोर्ट गाजीपुर के नीरज श्रीवास्तव ने पुष्टि की है। जिसमें मुख्तार अंसारी को आपराधिक साजिश रचने की धारा 120B में आरोपी बनाया गया।
गवाहों के मुकरने से हुआ बरी
2009 के इस केस में माफिया मुख्तार की पत्रावली जब प्रयागराज एमपी-एमएलए कोर्ट से आने के बाद कार्रवाई शुरू हुई। जिसमें एक-एककर सभी गवाह मुकर गए। इसके साथ ही मुख्य आरोपी सोनू यादव को 2010 में ही ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था। इसी का फायदा माफिया मुख्तार अंसारी को मिल गया।
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