UP Nagar Nikay Chunav 2023: सुप्रीम कोर्ट में यूपी के नगर निकाय चुनाव के मामले की सुनवाई टलने से और देरी होने की संभावनाएं हो गईं हैं। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 मार्च की तारीख दी है। हालांकि हाईकोर्ट के दखल के बाद इस मुद्दे पर ओबीसी आयोग का गठन हुआ था। इस कारण नई आरक्षण नीति के मुताबिक ही अब फिर से नए उम्मीदवारों का चयन प्रकिया शुरु की जाएगी। इस कारण प्रक्रियात्मक रूप से इसमें काफी देर लग सकती है। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर आई थी। जिसमें 4 जनवरी को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण कमेटी की रिपोर्ट आने तक चुनाव कराने पर रोक रहेगी। ओबीसी को आरक्षण दिए बिना चुनाव नहीं होंगे।
जानें क्यों हो सकती है चुनावों में देरी
बता दें आज हुई सुप्रीम कोर्ट में यूपी निकाय चुनाव की सुनवाई के टल जाने से चुनाव प्रक्रिया पर नया संकट खड़ा हो गया है। दरअसल जिस तरह से मामला SC में आया और कोर्ट ने पाया। उसने आने वाले निकाय चुनावों में लोगों की भागीदारी को गंभीरता से लिया है। अब सुप्रीम कोर्ट की आदेश के बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकेगी। इस कारण नई आरक्षण नीति के मुताबिक ही अब फिर से नए उम्मीदवारों का चयन प्रकिया शुरू की जाएगी। दूसरी ओर वार्डों के वोटरों की लिस्ट तैयार करके निर्वाचन आयोग को भेजी जा चुकी है। इस कारण प्रक्रियात्मक रूप से इसमें काफी देर लग सकती है। इस बीच SC के फैसले पर भी निगाहें लगी रहेंगी। हालांकि आरक्षण के मुद्दे पर गठित आयोग अपनी फाइनल रिपोर्ट सीएम योगी को सोंप चुका है।
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कार्यकाल खत्म होने से बढ़ीं समस्याएं
निगमों और पालिकाओं का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो चुका है। तब उनका कार्यकारी रुप से उनका कार्यभार वहां के नगर आयुक्त ही देख रहे हैं लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर तथा वनारस जैसे नगर निगमों सहित प्रदेश के 200 निकायों की अवधि समाप्त होने से अब कोई जनप्रतिनिधि नहीं हैं। इसलिए किसी भी तरह के नीतिगत फैसले नहीं हो सकते। इस वजह से लोगों को मूलभूत समस्याएं आने लगी हैं।
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