UP News: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी कानपुर के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के खिलाफ चल रही जांच को निरस्त कर दिया है। राजभवन के एक आदेश के मुताबिक किसी कुलपति को अपने ही किसी पूर्व अधिकारी के खिलाफ किसी जांच कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। ऐसी जांच सिर्फ किसी कुलाधिपति के स्तर से ही की जा सकने के प्रावधान है। राज्यपाल द्वारा जांच को इस आधार पर निरस्त किए जाने को लेकर यूपी की प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। उसने सवाल किया है कि भ्र्ष्टाचार के आरोपी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. पाठक को किस आधार पर बचाया जा रहा है? बता दें एकेटीयू के तत्कालीन तत्कालीन कुलपति ने 1 फरवरी को हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था।
सपा ने ट्वीट कर यूपी सरकार को घेरा
इधर प्रो.विनय कुमार पाठक पर जांच निरस्त किए जाने को लेकर समाजवादी पार्टी ने यूपी सरकार को ट्वीट कर घेरा है। उसने राज्यपाल के आदेश की प्रति को ट्वीट से जोड़कर लिखा कि ” भ्रष्ट VC विनय पाठक के खिलाफ कई जांचे बंद करने का आदेश यूपी के महामहिम राज्यपाल महोदया ने दिया है… ये वही भ्रष्ट विनय पाठक है जिसके काले कारनामे, भ्रष्टाचार, अनैतिकता, दुश्चरित्रता के कई मामले कुछ महीने पहले प्रकाश में आए थे लेकिन भ्रष्ट योगी/भाजपा सरकार इसे बचा रही थी।
जानें क्या हैं आरोप
मालूम हो कि एकेटीयू के तत्कालीन कुलपति प्रो.पीके मिश्रा ने डॉ अभिजीत सिन्हा के द्वारा शिकायत की गई थी। इसके साथ ही यूजीसी सचिव के द्वारा लिखे पत्र को आधार मानते हुए 1 फरवरी 2023 को जांच कमेटी गठित किया था। पीके मिश्रा ने प्रो.विनय कुमार पाठक के कार्यकाल में भर्तियों में नियुक्तियों, ई-कंसोर्टियम, वित्त समिति में लिए गए फैसलों, कार्य परिषद, 1700 करोड़ के निवेश के साथ ही प्रो.विनय कुमार पाठक की पीएचडी की जांच के लिए निर्देशित किया था। लेकिन इसके बाद ही प्रो.पीके मिश्रा को पद से हटा दिया गया। इसी से नाराज प्रो.मिश्रा ने इस्तीफा दे दिया था।
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