UP News: उत्तर प्रदेश में इन दिनों हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर खूब सख्ती देखने को मिल रही है। यूपी सरकार ने बीते दिनों ही हलाल उत्पादों पर बैन लगाने का निर्णय लिया है और सर्टिफिकेशन की जांच अब स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को सौंपी है। दावा किया जा रहा है कि यूपी एसटीएफ की टीमें चेन्नई, दिल्ली और मुंबई जाकर हलाल सर्टिफिकेशन के संबंध में जांच करेगी। इसके तहत टेरर फंडिंग और देश विरोधी गतिविधियों जैसे आरोपों की जांच होगी। खबर है कि एसटीएफ जरुरत पड़ने पर एटीएस की मदद भी ले सकता है जिससे मामले को जल्द सुलझाया जा सके।
क्या है हलाल सर्टिफिकेशन?
यूपी सरकार के हलाल सर्टिफिकेशन पर सख्त होने के बाद से लगातार इसको लेकर सुर्खियां बन रही हैं। बता दें कि इस्लाम के अनुसार हलाल का मतलब ज़ायज बताया जाता है। ऐसे में अगर किसी खाद्य सामग्री या सौंदर्य के साथ अन्य उत्पाद पर हलाल सर्टिफिकेशन है तो ये उत्पाद ज़ायज माना जाता है। इसका सीधा आशय ये है कि इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग इन उत्पादों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर गरमाया मुद्दा
हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। इसको लेकर मुद्दा लगातार तुल पकड़ता नजर आ रहा है और इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों का कहना है कि धर्म की आड़ में समुदाय विशेष का अनावश्यक प्रचार हो रहा है। इससे अन्य समुदाय के कारोबारियों को नुकसान पहुंचता है। वहीं इसको लेकर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप भी लग रहे हैं। ऐसे में यूपी सरकार ने मामले का तत्काल संज्ञान लेते हुए हलाल उत्पादों पर बैन लगाने के साथ इसके जांच के आदेश दिए हैं। दावा किया जा रहा है कि मामले की जांच होने के बाद ही वास्तविकता का पता लग सकेगा।
हलाल सर्टिफिकेशन की शुरुआत
हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर बन रहे सुर्खियों के बीच इसके शुरुआत को लेकर भी चर्चा जारी है। खबरों की मानें तो भारत में इसकी शुरुआत पहली बार 1974 में हुई थी। बता दें कि हलाल सर्टिफिकेशन के लिए भारत सरकार की कोई संस्था नहीं है। इसे प्राइवेट कंपनियों व समुदाय के निजी संस्थाओं द्वारा ही जारी किया जाता है। दावा किया जा रहा है कि हलाल सर्टिफिकेशन की जरुरत सिर्फ मीट संबंधी उत्पादों के लिए है लेकिन इसे पैकेज्ड फूड के लिए भी दिया जा रहा है। ऐसे में इसकी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।
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