Friday, November 22, 2024
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ई-कचरा को रिसाइकिल करने में Uttarakhand दूसरे पायदान पर, जानिए अपने राज्य का स्थान?

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‘इलेक्ट्रॉनिक-कचरा’ को रिसाइकिल करने के मामले में उत्तराखंड ने मारी बाजी   

बता दें कि भारत का उत्तराखंड राज्य ई-कचरा के प्रबंधन, एकत्रीकरण और पुनर्चक्रण के मामले में देश में दूसरा स्थान हासिल किया है। खबरों की मानें तो उत्तराखंड में 51541.12 मीट्रिक टन ‘इलेक्ट्रॉनिक-कचरा’ (ई-कचरा) को रिसाइकिल कर ले रहा है। ऐसे में देखा जाए तो वह बाकि के पहाड़ी राज्यों से कहीं ज्यादा आगे है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल जैसे राज्य उससे पीछे हैं। 

वहीं ‘इलेक्ट्रॉनिक-कचरा’ (ई-कचरा) को प्रबंधन, एकत्रीकरण और पुनर्चक्रण करने वाले राज्यों में सबसे पहले स्थान पर हरियाणा मौजूद है। इसके बाद क्रमश उत्तराखंड, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, और फिर केरल है। 

बता दें कि हमने यह सूची भारत के टॉप 10 ई-कचरा के प्रबंधन, एकत्रीकरण और पुनर्चक्रण करने वाले राज्यों के बारे में बताया है।

आखिर क्या होता है ई-कचरा और यह कैसे प्रदूषण फैलता है?

जैसा कि आप जानते ही होंगे प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं। जैसे कि जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण ठीक वैसे ही इलेक्ट्रॉनिक-कचरा भी एक प्रकार से हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। देखा जाए तो इलेक्ट्रॉनिक-कचरा का मतलब, ख़राब मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप, टेलीविजन, वायर इत्यादि के होने से होता है। ऐसे में जब इसे कोई खुले वातावरण में फेंक देता है, तो यह न ही गलता है और न ही सड़ता है। ऐसे में देखा जाए तो यह पर्यावरण को नुकसान पहचाने लगता है।    

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सौरभ कुमार मल्ल बीते 2 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया केंद्रीय विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में P.G. की पढ़ाई की है। उन्होंने अपनी शुरुआत दैनिक भास्कर (इंटर्नशिप) से किया है। यह कई और चैनलों में बतौर कंटेंट राइटर के तौर पर काम कर चुके हैं। फिलहाल सौरभ DNP India Hindi वेबसाइट में बतौर कंटेंट राइटर (पॉलिटिकल, क्राइम और इंटरनेशनल) डेस्क पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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