Uttarakhand News: पहाड़ों की गोद में बसा देवभूमि उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता और प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। यहां के हर कोने में आपको ऐसे मंदिर मिल जाएंगे, जिनका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी देखने को मिलता है। केदारनाथ हो या तुंगनाथ, यहां के सभी मंदिर लोगों की आस्था के केंद्र हैं।
हर साल लाखों लोग इन मंदिरों में दर्शन के लिए देवभूमि आते हैं, लेकिन कई मंदिर ऐसे भी हैं जिनकी हालत जर्जर बनी हुई है। अब इन्हीं जर्जर हालत वाले मंदिरों के अस्तित्व को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार इन मंदिरों का जीर्णोद्धार कर इन्हें नई पहचान देगी। जिसके लिए केंद्र सरकार ने 700 करोड़ की मदद भेजी है।
कुमाऊं मंडल के 16 मंदिरों का होगा जीर्णोद्धार
दरअसल, मानसखंड परियोजना के तहत धार्मिक पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य इन मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। सबसे पहले ये कार्य कुमाऊं मंडल से शुरू किया जाएगा। जहां के 16 मंदिरों का सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार होगा। इनका कार्य अगस्त से शुरू होने की उम्मीद है। जिसे अगले साल यानी 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।
इन मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को 700 करोड़ की राशि जारी की है। इस राशि को सड़कों, रोपवे सहित कई अन्य निर्माण कार्यों पर खर्च किया जाएगा। वहीं, उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र की मदद के लिए उनका आभार जताया है।
केंद्र ने मांगे थे मंदिरों के नाम
बता दें कि मानसखंड परियोजना के तहत केंद्र सरकार ने राज्य सरकार ने मंदिरों की सूची मांगी थी। जिसके बाद उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने मंदिरों का सर्वे करने के बाद केंद्र को सूची भेजी। वैसे तो इन मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य पहले ही शुरू हो जाता, लेकिन वित्तीय कारणों के चलते ये काम लटका रहा है।
वहीं, केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद अब अगले महीने से जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हो जाएगा। पर्यटन विकास परिषद से मिली जानकारी के मुताबकि, इन मंदिरों में अल्मोड़ा के छह, पिथौरागढ़ के दो, चंपावत के चार, नैनीताल के दो और बागेश्वर के दो मंदिर शामिल हैं।
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