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Mohan Bhagwat in Haridwar: युवाओं में जगाई हिंदू धर्म की अलख, बोले- ‘सनातन को सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं’

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Mohan Bhagwat in Haridwar:  हरिद्वार में युवाओं के संन्यास प्रतिष्ठान कार्यक्रम का आज अंतिम दिन है। ऐसे में अष्टमी के दिन पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जमकर इसके महिमा का गुणगान किया। इस दौरान उन्होंने सनातन धर्म को लेकर भी अपनी बात रखी। आरएसएस के चीफ ने कहा कि सनातन धर्म के लिए किसी भी तरह की प्रमाण देने की जरूरत नहीं है। किसी भी तरह की अग्नि परीक्षा में सनातन धर्म से जुड़ी हमेशा सही साबित हुई हैं। इस दौरान उन्होंने भगवा धारण किए युवाओं से कहा कि आज भले ही ये युवा भगवा गमछे के साथ संन्यास दीक्षा ले रहे हैं लेकिन सही तरीके से अगर देखा जाए तो इसे किसी भी तरह की प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होती है।

सनातन धर्म को लेकर कही ये बात

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने पहुंच कर दीक्षा ग्रहण कर रहे युवाओं से मुलाकात की। इस दौरान इन युवाओं को सनातन धर्म का पाठ भी पढ़ाया। भागवत ने कहा कि ” सनातन धर्म कभी भी समाप्त होने वाला है अनादि काल से इसकी शुरुआत हुई थी और यह हमेशा इसी तरह से अनवरत चलती रहेगी। आज के लोगों को भी इस सनातन को समझने की जरूरत है। जिस तरह से प्रकृति करवट ले रही है उसी तरह से सनातन की तरफ लोगों को भी करवट लेने की जरूरत है। सनातन के लिए न ही किसी को सर्टिफिकेट दिखाने को जरूरत है और न ही प्रमाण पत्र देने की जरूरत है।

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क्रांतिकारियों के सपनों के कर रहे पूरा

बता दें कि पतंजलि के द्वारा ऋषिग्राम में संन्यास दीक्षा का कार्यक्रम अयोजित किया जा रहा है। इसमें देश के कई नामचीन हस्तियां भी शामिल हुई हैं। ऐसे में बताया जा रहा है कि इस समारोह में आज देश के गृहमंत्री अमित शाह भी शिरकत करेंगे। वहीं इस कार्यक्रम का के आयोजनकर्ता बाबा रामदेव ने कहा कि ” आजादी के 75 साल बाद और इस अमृत महोत्सव के मौके पर महात्मा गांध , स्वामी विवेकानंद ,महर्षि दयानंद सरस्वती के सपनों को आज पतंजलि पूरा कर रहा है।

इससे जुड़कर न आप आध्यात्मिक चीजें सिख सकते हैं बल्कि यहां से आपको कमाई करने के द्वारा भी खुल जाएंगे। इस दौरान शिक्षा और शिक्षा को लेकर बाबा रामदेव ने कहा कि आजादी के इतने दिनों बाद भी अभी तक शिक्षा और चिकित्सा हम किसी और का अपनाते आ रहे हैं। लेकिन अब इन गुलामी के प्रतीकों को खत्म करने का समय आ गया है। ऐसे कामों को केवल संन्यास दीक्षा लेने वाले या फिर कोई संन्यासी ही खत्म कर सकता है।

 

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