National Games2024: उत्तराखंड के सीएम धामी ने अगले साल राज्य में होने वाले 38 वें राष्ट्रीय खेलों के लिए राज्य के खेल विकास हेतु विदेशी कोचों को हायर करेंगे। इसके लिए उन्होंने खेल विभाग के निदेशक तथा अपर सचिव जितेंद्र सोनकर को व्यापक दिशा निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही इन खेलों को आयोजित करने की व्यवस्था करने हेतु विभिन्न राज्यों की अध्ययन रिपोर्ट मांगी है।
जानें क्या है योजना
बता दें अगले साल 2024 में उत्तराखंड 38 वें राष्ट्रीय खेलो का आयोजन करेगा। इस अवसर पर सीएम पुष्कर सिंह धामी इस खेल आयोजन को यादगार बनाना चाहते हैं। चाहे वो देवभूमि के गौरव से जुड़ा हो अथवा उसके खिलाड़ियों के प्रदर्शन को लेकर भी कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहते। इसी को लेकर इसके आयोजन को लेकर उन्होंने खेल विभाग को निर्देश दिए हैं कि राज्य के खिलाड़ियों के कोचिंग के लिए जो भी सर्वश्रेष्ठ कोच हो देशी हो या विदेशी । उनकी व्यवस्था के लिए राज्य खेल विकास निधि में सरकार की ओर से अतिरिक्त व्यवस्था कर दी गई है। सरकार चाहती है कि राज्य के खिलाड़ी मेजबान होते हुए अधिक से अधिक पदकों को झोली में डालें।
पड़ोसी राज्यों से मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय खेलों के सुव्यवस्थित और सुचारू आयोजन के लिए जो राज्य ने इन खेलों को आयोजित करने का अनुभव रखते हैं। खेल विभाग के माध्यम से उनकी रिपोर्ट्स को मंगवाया गया है। जिसके लिए खेल विभाग की तरफ से यूपी,हिमाचल, दिल्ली, पंजाब तथा हरियाणा की रिपोर्ट मांगी गई हैं। जिनके मिलने के बाद गहन अध्ययन करके शासन को एक प्रस्ताव भेजा जाएगा। कुछ राज्यों ने भेज भी दी है।
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खेलों की भूमि होने की पहचान बने
उत्तराखंड के सचिव डीके सिंह के मुताबिक राज्य सरकार की मंशा है कि राज्य की पहचान अभी तक देवभूमि और वीरभूमि के तौर पर जानी जाती है। धर्मिक महत्व के कारण प्राचीन काल से ही देवताओं की कर्मस्थली, तपोभूमि यह भूमि रही है। वर्तमान में सेना के जवानों की सबसे अधिक बलिदानी इसी उत्तराखंड से है। अब सरकार इसमें युवाओं के जोश को भुनाकर खिलाड़ियों की भूमि होने का तमगा और हासिल करना चाहती है। इसी दिशा में संभावनाओं की तलाश की जा रही है।
खेल कोचों की है भारी कमी
बता दें उत्तराखंड खेल विभाग कोचों की कमी से जूझ रहा है । दूसरी बात कोई भी कोच पूर्णकालिक नहीं है। जिसका खामियाजा भी खिलाड़ियों को भुगतना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक पूर्व में 60 कोचों की नियुक्ति निकाली गई थी। लेकिन कुल 28 कोचों की ही नियुक्ति संभव हो सकी। देखा जाए तो जो कोच उपलब्ध भी हैं, उनमें से अधिकांश संविदा पर ही रखे गए हैं।
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