Uttarakhand News: केंद्र सरकार और राज्य सरकार की अगुवाई में कठिन से कठिन क्षेत्रों में भी कई तरह कि रेल परियोजनाओं को चलाया जा रहा है। जिसमे चिनाब रेल ब्रिज से लेकर Rishikesh Karnprayag Rail Project शामिल है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कुल 125 किलोमीटरइस इस रेल लाइन परियोजना में से 104 किलोमीटर सुरंग से होकर निकलेगी। बता दें कि इस परियोजना का मकसद अन्य राज्यों से केदारनाथ, बद्रीनाथ, रूद्रप्रयाग समेत कई अन्य धाम को जोड़ना। मालूम हो कि अभी केदरानाथ बद्रीनाथ जाने के लिए केवल एक विकल्प है वह है बस, लेकिन इस रेल लाइन के शुरू होने के बाद पहुंच बेहद आसान हो जाएगी। चलिए आपको बताते है इस योजना से संबंधित जानकारी।
70 से अधिक फीसदी कार्य हुआ पूरा- Uttarakhand News
इस Rishikesh Karnaprayag Rail Project की बात करें तो इसका 70 से अधिक फीसदी कार्य संपन्न हो चुका है। वहीं माना जा रहा है कि साल 2026 में इसका परिचालन शुरू किया जा सकता है। इस परियोजना को एक अजूबा कहना गलत नहीं जिसके तहत 125 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का 104 किलोमीटर रेल लाइन सुरंग के अंदर से होकर गुजरेगी। गौरतलब है कि देश के अन्य राज्यों को भी इस रेल लाइन से जोड़ा जाएगा ताकि बड़ी संख्या में चार धाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालु इसका फायदा उठा सकें (Uttarakhand News)।
इस योजना के तहत उत्तराखंडके लोगों को कैसे होगा फायदा – Uttarakhand News
16 हजार करोड़ रूपये की लागत से बनने वाली Rishikesh Karnaprayag Rail Project का काम लगभग जल्द पूरा होने जा रहा है। जानकारी के मुताबिक इसका परिचालन 2026 से शुरू हो सकता है। हालांकि इसे लेकर कोई भी अधिकारिक जानकारी नहीं आई है। (Uttarakhand News) वहीं इस योजना का बड़ा फायदा यहां पर रहे लोगों को होगा। उत्तराखंड का एक बड़ा क्षेत्र राज्य के लोगों और पर्यटकों के लिए शुगम हो जाएगा। इससे यहां निवेश, उद्योग, रोजगार के नए- नए अवसर बनेंगे।
साल 2026 से शुरू हो सकता है परिचालन
मिली जानकारी के अनुसार इस परियोजना का 70 से अधिक पीसदी कार्य पूरा कर लिया गया है। कई जगहों पर तो पटरियों को भी बिछा दिया गया है। वहीं इस परियोजना में कुल 11 रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे। हिमालय के प्रवेश द्वार ऋषिकेश को कर्णप्रयाग से जोड़कर, यह परियोजना देवभूमि में एक निर्बाध रेल नेटवर्क प्रदान करेगी। बता दें कि Rishikesh Karnaprayag Rail Project के पूरा होने के बाद निवासियों और तीर्थयात्रियों दोनों को समान रूप से लाभ होगा (Uttarakhand News)।