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‘भारत में भी बांग्लादेश जैसी स्थिति हो..,’ Vijayadashami 2024 पर ‘शस्त्र पूजा’ के दौरान क्या बोल गए RSS चीफ Mohan Bhagwat?

Vijayadashami 2024: RSS चीफ Mohan Bhagwat ने आज Nagpur में शस्त्र पूजा कार्यक्रम के दौरान बांग्लादेश का भी जिक्र किया है।

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Vijayadashami 2024
फाइल फोटो- प्रतीकात्मक

Vijayadashami 2024: देश के विभिन्न हिस्सों में आज विजयादशमी की धूम है। नवरात्रि (Navratri 2024) के 9वें दिन के समापन होने के बाद 10वें दिन इस खास पर्व को धूम-धाम से मनाया जाता है। विजयादशमी (Vijayadashami 2024) के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का भी जिक्र होता है। दरअसल विजयादशमी के दिन ही 1925 में आरएसएस की स्थापना हुई थी। विजयादशमी के इस खास अवसर पर संघ के तमाम स्वयंसेवक ‘शस्त्र पूजा’ (Shastra Pooja) कार्यक्रम में शामिल होते हैं। महाराष्ट्र के नागपुर (Nagpur) शहर के रेशिम बाग में आरएसएस मुख्यालय पर आज काफी चहल-पहल रहती है।

वर्ष 2024 में भी ये परंपरा कायम है और विजयादशमी के अवसर पर आरएसएस की ओर से शस्त्र पूजा कार्यक्रम (RSS Shastra Pooja) का आयोजन हुआ है। इस दौरान आरएसएस चीफ (सरसंघचालक) मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित भी किया है। मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने आज विजयादशमी के अवसर पर कहा कि “हमारे देश (भारत) में भी बांग्लादेश (Bangladesh) जैसी स्थिति हो, ऐसे उद्योग चल रहे हैं, क्योंकि भारत के बड़े होने से सब स्वार्थ की दुकानें बंद हो जाएंगी।” इसके अलावा भी उन्होंने कई पहलुओं पर अपना पक्ष रखा है जिसको लेकर खूब सुर्खियां बन रही हैं।

Vijayadashami 2024 पर RSS चीफ Mohan Bhagwat का खास संबोधन

आज विजयादशमी (Vijayadashami 2024) के शुभ अवसर पर नागपुर में स्थित आरएसएस (RSS) मुख्यालय पर खूब धूम है। संघ की ओर से आज ‘शस्त्र पूजा’ कार्यक्रम का आयोजन कर वर्षों से चली आ रही परंपरा का पालन किया जाता है। नागपुर में शस्त्र पूजा के बाद आयोजन को संबोधित करते हुए आरएसएस चीफ मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बड़ी बात कह दी है। मोहन भागवत का कहना है कि “हमारे देश (भारत) में भी बांग्लादेश (Bangladesh) जैसी स्थिति हो, ऐसे उद्योग चल रहे हैं, क्योंकि भारत के बड़े होने से सब स्वार्थ की दुकानें बंद हो जाएंगी।”

मोहन भागवत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हुए अत्याचार को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि “बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू समुदाय पर अकारण क्रूर अत्याचार दोहराए गए। इस बार उन अत्याचारों के विरोध में वहां का हिंदू समुदाय संगठित हो गया और अपनी रक्षा के लिए अपने घरों से बाहर निकल आया, अत: कुछ रक्षा सुनिश्चित हो सकी।”

मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि “संस्कारों की अभिव्यक्ति का दूसरा पहलू है हमारा सामाजिक व्यवहार। समाज में हम एक साथ रहते हैं, साथ में सुखपूर्वक रह सके इसलिए कुछ नियम बने होते हैं। देश काल परिस्थितिनुसार उनमें परिवर्तन भी होते रहता है। परन्तु हम सुखपूर्वक एकत्र रह सके इसलिए उन नियमों के श्रद्धापूर्वक पालन की अनिवार्यता रहती है। एकत्र रहते हैं तो हमारे परस्परों के प्रति व्यवहार के भी कुछ कर्तव्य और उनके अनुशासन बन जाते है। कानून व संविधान भी ऐसा ही, एक सामाजिक अनुशासन हैं। समाज में सब लोग सुखपूर्वक, एकत्र रहें, उन्नती करते रहें, बिखरें नहीं, इसलिए बना हुआ अधिष्ठान व नियम है।”

RSS चीफ Mohan Bhagwat ने किया ‘सनातन धर्म’ का जिक्र

नागपुर (Nagpur) में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए RSS चीफ मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने सनातन धर्म (Sanatana Dharm) का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “धर्म भारत का स्व (स्वयं) है। कई धर्म हैं, लेकिन इन धर्मों के पीछे धर्म और आध्यात्मिकता है जिसे हम कहते हैं, शीर्ष पर धर्म- वह धर्म ही जीवन है भारत का, वह हमारी प्रेरणा है, यही कारण है कि हमारे पास इतिहास है, उसके लिए लोगों ने अपना बलिदान दिया। हम कौन हैं? हम खुद को हिंदू कहते हैं क्योंकि यह धर्म सार्वभौमिक है, सनातन है और इस ब्रह्मांड के साथ अस्तित्व में आया है। हमने न तो इसकी खोज की है और न ही इसे किसी को दिया है, बल्कि केवल इसकी पहचान की है, इसलिए हम इसे हिंदू धर्म कहते हैं, जो मानवता और विश्व का धर्म है।”

‘ताकत और एकजुटता ही अत्याचार की दवा’

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने नागपुर में विजयादशमी (Vijayadashami 2024) शस्त्र पूजा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कई अहम बात कही। उन्होंने कहा कि “देश में अकारण कट्टरता भड़काने वाली घटनाओं में अचानक वृद्धि हो रही है। विरोध के लोकतांत्रिक तरीकों को अपनाने के बजाय हिंसा के जरिए डर पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इसे श्रद्धेय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने ‘अराजकता का व्याकरण’ कहा था। दोषियों को नियंत्रित करना और सजा देना प्रशासन का काम है, लेकिन उनके आने तक समाज को अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी। हिंदू समाज को यह जानना चाहिए कि ताकत और एकजुटता ही अत्याचार की दवा है। हमें सकारात्मक योगदान देने के साथ-साथ मजबूत भी बनना है।”

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