Vijayadashami 2024: आज पूरे देश में विजयदशमी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है। मालूम हो कि आज ही भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था। हर साल विजयदशमी के दिन देश के अलग-अलग राज्यों में रावण का पुतला जलाया जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई के रूप में भी मनाया जाता है। इस शुभअवसर पर पीएम मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु समेत कई बड़े नेताओं ने देशवासियों को बधाई दी है।
देशभर में यह त्योहार विजयदशमी के रूप में मनाया जा रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि सिर्फ हिंदू समुदाय के लोग नहीं बल्कि बौद्ध समुदाय के लोग भी दशहरा का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाते है। वह इस त्योहार को अशोका विजयदशमी के रूप में मनाते है। चलिए आपको बताते है इससे पीछे की वजह
बौद्ध धर्म के लोग क्यों मनाते है विजयदशमी का त्योहार
दशहरा केवल हिंदू ही नहीं मनाते। बौद्ध भी इसे एक पवित्र दिन मानते हैं। जानकारी के मुताबिक उनका मानना है कि इसी दिन राजा अशोक ने कलिंग युद्ध में हुई भारी तबाही और मौतों से आहत होकर बौद्ध धर्म अपना लिया था। यही कारण है कि नागपुर समेत कई राज्यों में दीक्षाभूमि में दशहरा को अशोक दशमी के रूप में मनाया जाता है।
पूरे देश में विजयदशमी की धूम
हर साल विजयदशमी के दिन रावण दहन की परम्परा है। क्या दिल्ली, क्या बिहार, क्या राजस्थान लगभग भारत के हर कोने में रावण का पुतला जलाया जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनया जाता है। मालूम हो कि रावण का पुतला हर साल जलाने का इसका पौराणिक महत्तव है। इसके अलावा इस का अर्थ यह भी है कि चाहे आप कितने भी ज्ञानी हों अगर किसी के अंदर अहंकार आ जाता है तो उसका अंत होना तय है।
दिल्ली में बना रावण का सबसे बड़ा पुतला?
वैसे तो लगभग सभी राज्यों में रावण का पुतला बनाकर उसको जलाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस बार देश का सबसे बड़ा रावण का पुतला कहा खड़ा किया गया है, तो हम आपको बता दें देश की राजधानी दिल्ली के द्वारका में इस बार सबसे बड़ा पुतला बनाया गया है।
द्वारका श्री राम लीला सोसाइटी के आयोजक राजेश गहलोत ने कहा कि ”इस रावण के पुतले को बनाने में लगभग 4 महीने का समय लगा, खर्च लगभग 30 लाख रुपये आया। आपको द्वारका में सबसे ऊंचा और सबसे सुंदर रावण का पुतला देखने को मिलेगा।”