Waqf Act Amendment Bill: देश की राजधानी दिल्ली में स्थित संसद भवन के लिए आज का दिन बेहद ऐतिहासिक होने वाला है। दरअसल आज केन्द्र सरकार सियासी घमासान के बीच ही लोकसभा में वक्फ एक्ट संशोधन बिल पेश करेगी। इसको लेकर सियासी गलियारों में खूब चर्चा है और विपक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया भी आ रही है।
‘इंडिया अलायंस’ के प्रमुख घटक दल समाजवादी पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे लोकसभा में Waqf Act Amendment Bill का खुलकर विरोध करेंगे। वहीं कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (उद्धव-बालासाहेब गुट) की ओर से भी इस संशोधन बिल को लेकर असहमति दर्ज कराई गई है और इसे स्टैंडिड कमेटी को भेजने की मांग की जा रही है। ऐसे में आइए हम आपको इस पूरे प्रकरण के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं।
लोकसभा में पेश होगा Waqf Act Amendment Bill
तमाम कयासबाजी और सियासी उठा-पटक के बीच केन्द्र सरकार आज लोकसभा में वक्फ एक्ट संशोधन बिल पेश करेगी। इसकी जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से सामने आई है। इसके तहत संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024, मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 भी पेश करेंगे, जो मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त करने का प्रयास करता है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
वक्फ एक्ट संशोधन बिल लोकसभा में पेश होने से पहले ही सियासी पारा तेजी से चढ़ता नजर आ रहा है।
उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल और लोकसभा में भाजपा, कांग्रेस के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) ने इसका खुलकर विरोध करने का निर्णय लिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव का कहना है कि वक्फ संशोधन बिल बस एक बहाना है।
कांग्रेस की ओर से भी वक्फ एक्ट संशोधन बिल को लेकर असहमतियां दर्ज कराई गई हैं। कांग्रेस नेता और सांसद मनिकम टैगोर का कहना है कि “संसद शांतिपूर्ण ढंग से चल रही है और संसद, बजट समेत अन्य सभी चीजों सहित कई महत्वपूर्ण चीजों पर चर्चा कर रही है। सरकार ध्यान भटकाने वाली रणनीति अपनाना चाहती है और इसीलिए हम इन संशोधनों को स्थायी समिति के पास भेजने के लिए कहेंगे।”
कांग्रेस के सीनियर नेता के.सुरेश का कहना है कि “संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक सरकार वक्फ एक्ट संशोधन बिल लोकसभा में पेश करेगी। सदन में आज प्रश्नकाल के बाद कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी (एससीपी), समाजवादी पार्टी और डीएमके सहित विपक्षी दलों ने बैठक में कहा कि यह संबंधित मुस्लिम संगठनों और संबंधित लोगों से बिना किसी चर्चा के जल्दबाजी में लिया गया फैसला है। सरकार इस विधेयक को आगामी चुनावों में कुछ राजनीतिक लाभ या ध्रुवीकरण के लिए ला रही है। हमने मांग की है कि इस विधेयक को मूल्यांकन या गहन सत्यापन के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
विपक्ष की ओर से शिवसेना (उद्धव-बालासाहेब गुट) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि “जिस तरह से यह विधेयक लाया जा रहा है, मैं पूछूंगी कि क्या उनके गठबंधन (एनडीए) के भीतर इस पर चर्चा हुई है। क्या जेडीयू और टीडीपी ने इस वक्फ बिल को देखा है और अपनी सहमति दी है?”