Friday, November 22, 2024
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‘अकेले में पॉर्न देखना अपराध नहीं’, जानिए Kerala High Court ने क्यों कही ये बड़ी बात ?

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Bhagwant Mann: पंजाब में आज एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला है। विधानसभा उपचुनाव के लिए संपन्न हुए मतदान के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) ने आज बड़ा ऐलान किया है।

Bhagwant Mann सरकार की नीतियों से निवेश को मिली रफ्तार! जानें ग्रीनफील्ड यूनिट की स्थापना से युवाओं को कैसे मिलेगा लाभ?

Bhagwant Mann: भगवंत मान सरकार की नीतियां पंजाब के युवाओं के लिए बेहद कारगिर साबित हो रही हैं। इन्हीं नीतियों के सहारे राज्य में निवेश को लगातार रफ्तार मिल रही है। ताजा जानकारी के अनुसार वर्धमान स्पेशल स्टील्स लिमिटेड ने पंजाब (Punjab) में निवेश को लेकर एक बड़ा ऐलान किया गया है।

Kerala High Court: हाल ही में केरल उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया था, जिसे पुलिस ने सड़क किनारे अश्लील वीडियो देखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दरअसल, आरोपी ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले पर सुनवाई करते हुए केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने कहा कि अकेले में पॉर्न वीडियो देखना अश्लीलता के तहत अपराध में नहीं आता है।

‘ऐसा कंटेंट देखना किसी की निजी पसंद’

कोर्ट ने कहा कि अगर कोई ‘निजी तौर पर’ अश्लील वीडिया देखता है और वह किसी दूसरे को नहीं भेजता है या पब्लिक में सबके सामने नहीं देखता है तो यह आईपीसी के तहत अश्लीलता के अपराध में नहीं आएगा। न्यायालय ने कहा कि ऐसा कंटेंट देखना किसी व्यक्ति की निजी पसंद है और न्यायालय इसकी निजता में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

‘किसी की निजी पसंद में नहीं कर सकते हस्तक्षेप’

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा, “इस मामले में जो सवाल है वह यह है कि क्या कोई व्यक्ति अपने निजी समय में दूसरों को दिखाए बिना पोर्न वीडियो देखता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है ? कानून की अदालत यह घोषित नहीं कर सकती कि यह अपराध की श्रेणी में आता है, क्योंकि यह उसकी निजी पसंद है और इसमें हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते।”

‘अकेले में पॉर्न देखना कोई अपराध नहीं’

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नेआगे कहा, “मेरी राय है कि किसी व्यक्ति द्वारा अपनी प्राइवेसी में अश्लील फोटो देखना अपने आप में आईपीसी की धारा 292 के तहत अपराध नहीं है। यदि आरोपी किसी अश्लील वीडियो या फोटो को प्रसारित या वितरित करता है या सार्वजनिक रूप से दिखाने की कोशिश कर रहा है, तो अकेले आईपीसी की धारा 292 के तहत यह अपराध माना जाएगा।”

हाईकोर्ट ने माता-पिता से किया ये आग्रह

वहीं, न्यायमूर्ति कुन्हिकृष्णन ने माता-पिता को चेतावनी दी कि नाबालिग बच्चों को बिना निगरानी के मोबाइल फोन देने में खतरा है, क्योंकि पोर्न वीडियो आसानी से इंटरनेट पर उपलब्ध हैं और अगर बच्चे उन्हें देखते हैं तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए न्यायालय ने माता-पिता को बच्चों को सूचनात्मक समाचार और वीडियो दिखाने और उन्हें मोबाइल फोन से खेलने के बजाय बाहरी गतिविधियों के लिए भेजने के लिए प्रेरित किया है।

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Brijesh Chauhan
Brijesh Chauhanhttps://www.dnpindiahindi.in
बृजेश बीते 4 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में M.A की पढ़ाई की है। यह कई बड़े संस्थान में बतौर कांटेक्ट एडिटर के तौर पर काम कर चुके हैं। फिलहाल बृजेश DNP India में बतौर कांटेक्ट एडिटर पॉलिटिकल और स्पोर्ट्स डेस्क पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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