Modi 3.0: नरेंद्र मोदी ने देश में तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। 9 जून को देश और दुनिया की कई बड़ी हस्तियां Modi 3.0 के ऐतिहासिक पल की गवाह बनी हैं। NDA की सरकार बनने के बाद अब कयासों का दौर भी शुरु हो चुका है कि, इस बार केन्द्र सरकार क्या कुछ नया करने वाली है। इसको लेकर चर्चाएं चल ही रही। इस बीच उम्मीद की जा रही है कि, आने वाले समय देश में इलेक्ट्रोनिक वाहनों की मांग और सप्लाई को लेकर सरकार बड़े कदम उठा सकती है। जिसको लेकर ऑटो मार्केट और ऑटो कंपनी दोनों को ही मोदी सरकार से काफी उम्मीदें हैं। आज हम इन्ही उम्मीदों के बारे में बताने जा रहे हैं।
ईवी इकोसिस्टम को बढ़ावा मिल सकता है
ईवी उद्योग में बड़ा कदम उठाकर सरकार एक मजबूत ईवी इकोसिस्टम बना सकती है। इससे लागत भी कम होगी और भारतीय बाजार में ईवी की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
2030 EV लक्ष्य को पाना
सरकार का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है है कि, 2030 तक भारतीय सड़कों पर सभी वाहनों में से 30% इलेक्ट्रिक गाड़ियां हों। इसे पाने के लिए मोदी 3.0 सरकार इस लक्ष्य की दिशा में कुछ अहम फैसले ले सकती है।
लिथियम-आयन बैटरी पर जीएसटी घटना
इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। इस बैटरी पर लगने वाले जीएसटी कर को 18% घटाकर कम किया जा सकता है। GST हटने से लागत में काफी कमी आएगी, जिससे उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना भी आसान हो जाएगा। ये अभी काफी महंगे आते हैं।
स्थानीय बैटरी आपूर्ति को बढ़ाना देना
उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन पीएलआई योजना जैसी पहल स्थानीय उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। घरेलू बैटरी आपूर्ति को बढ़ाकर, आयात को कम करके और बैटरी की लागत में कटौती की जा सकती है।
छोटे शहरों में स्टार्टअप को बढ़ावा देना
छोटे शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े स्टार्टअप को लाने के लिए नई सरकार से ऐसी नीतियों को लागू करने की उम्मीद की जा सकती है जिससे इनके व्यापार में वृद्धि हो सके।
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