Thursday, December 19, 2024
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G20 Summit 2023: क्या है Konark Wheel जिसे PM Modi अमेरिकी राष्ट्रपति को समझाते दिखे ? यहां जानें इसका इतिहास

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G20 Summit 2023: दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit 2023) का आगाज हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (9 सितंबर) शिखर सम्मेलन स्थल भारत मंडपम में विश्व नेताओं का स्वागत किया और उनके साथ तस्वीरें खिंचवाईं। इस दौरान पीछे लगे ओडिशा के कोणार्क चक्र ने कई विदेशी मेहमानों का ध्यान खींचा। उन्हीं में से एक थे अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन।

PM मोदी ने बाइडेन को बताई चक्र की खासियत

कोणार्क चक्र (Konark Chakra) देख बाइडेन ने PM Modi से उसके बारे में पूछा। जिसके बाद PM मोदी उन्हें चक्र की खासियत बताते नजर आए। इस दौरान बाइडेन (Joe Biden) ने काफी ध्यान से PM मोदी की बात सुनी। आपने भी कई बार इस चक्र को देखा होगा। भारत के तिरंगे में भी यहां चक्र बना हुआ है।

इसके अलावा भारतीय करेंसी के कई नोटों पर भी आपको ओडिशा का कोणार्क चक्र नजर आ जाएगा। लेकिन, आपमें से ज्यादातर लोगों को इसके इतिहास की जानकारी नहीं होगी। ऐसे में सवाल उठता है की आखिर ये कोणार्क चक्र क्या है ? आइए आपको बताते हैं कि भारत की विरासत में कोणार्क चक्र क्या अहमियत रखता है।

निरंतरता और प्रगति का प्रतीक है कोणार्क चक्र

इस इवेंट के बाद ‘कोणार्क व्हील’ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गया है। G20 में ओडिशा की विरासत की झलक दिखने के बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया पर अपनी खुशी व्यक्त की। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी खुशी साझा करते हुए उन्होंने लिखा, “भारत की सभ्यता, सांस्कृतिक और स्थापत्य उत्कृष्टता का प्रतीक, कोणार्क चक्र निरंतरता और प्रगति का प्रतीक है।”

क्या है कोणार्क चक्र का इतिहास ?

कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में हुआ था। 24 तीलियों वाला यह पहिया भारत के प्राचीन ज्ञान, वास्तुशिल्प उत्कृष्टता और उन्नत सभ्यता का प्रतीक है। इसे भारतीय तिरंगे में भी शामिल किया गया है। चक्र लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है।

कुछ लोगों का कहना है कि चक्र की 24 छड़ियां भगवान विष्णु के 24 रूपों का प्रतीक हैं, जबकि कई लोग इसे गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों का प्रतीक बताते हैं। धूपघड़ी का डिजाइन जटिल गणितीय गणनाओं पर आधारित है, जो पृथ्वी के घूर्णन, सूर्य, चंद्रमा और सितारों की गतिविधियों को ध्यान में रखता है। यह पूरे दिन और पूरे वर्ष सूर्य की गति को ट्रैक कर सकता है। ऐसा दावा किया जाता है कि मंदिर के वास्तुकारों ने धूपघड़ी बनाने के लिए खगोल विज्ञान के अपने ज्ञान का उपयोग किया था।

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Brijesh Chauhan
Brijesh Chauhanhttps://www.dnpindiahindi.in
बृजेश बीते 4 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में M.A की पढ़ाई की है। यह कई बड़े संस्थान में बतौर कांटेक्ट एडिटर के तौर पर काम कर चुके हैं। फिलहाल बृजेश DNP India में बतौर कांटेक्ट एडिटर पॉलिटिकल और स्पोर्ट्स डेस्क पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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