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हजारों करोड़ों की लागत से बनने वाले Gaganyaan Mission का ये है उद्देश्य, क्या स्पेस में दुनिया का 5वां पावरफुल देश बनेगा भारत?

Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन में इसरो अंतरिक्ष यान को धरती से 400 किलोमीटर दूर आउटर स्पेस तक भेजेगा। इसके बाद उस मॉड्यूल को सुरक्षित धरती पर वापस लाया जाएगा। मिशन के तहत अंतरिक्ष यान में मौजूद मानव की लैंडिंग बंगाल की खाड़ी में की जाएगी। इस मिशन की कुल लागत 9023.00 करोड़ रुपये है।

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Gaganyaan Mission

Gaganyaan Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर अंतरिक्ष क्षेत्र में इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO ने शनिवार (21 अक्टूबर) को गगनयान मिशन के पहले चरण का पहला ट्रायल किया, जो पूरी तरह सफल रहा है। आज सुबह 10 बजे गगनयान मिशन का पहला चरण परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो गया। श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने के बाद गगनजन बंगाल की खाड़ी में उतरा।

वैसे तो परीक्षण सुबह 8:30 बजे होने वाला था, लेकिन खराब मौसम के कारण बाद में इसका समय बदलकर 8:45 कर दिया गया। लेकिन, यहां फिर पेंच फंसा और ट्रायल से कुछ सेकेंड पहले तकनीकी खराबी के चलते इसे होल्ड कर दिया गया। लेकिन, बाद में तकनीकी खराबी को दूर इसका सफल ट्रायल किया गया। अब सवाल यह उठता है कि आखिर गगनयान मिशन है क्या? और चंद्रयान-आदित्य के बाद यह इसरो के लिए इतना जरूरी क्यों है?

मिशन पर आई इतनी लागत

इस मिशन की सफलता के बाद वर्ष 2035 तक अंतरिक्ष में भारत का अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य है। 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत तक अंतरिक्ष में मिशन गगनयान के तहत यात्रियों को भेजा जाना है। उसके पहले कई दौर की टेस्टिंग होगी। गगनयान मिशन में इसरो अंतरिक्ष यान को धरती से 400 किलोमीटर दूर आउटर स्पेस तक भेजेगा। इसके बाद उस मॉड्यूल को सुरक्षित धरती पर वापस लाया जाएगा। मिशन के तहत अंतरिक्ष यान में मौजूद मानव की लैंडिंग बंगाल की खाड़ी में की जाएगी।

इस मिशन की कुल लागत 9023.00 करोड़ रुपये है। इस मिशन को प्रोटोटाइप 2006 में बनाया गया था। जिसके बाद साल दर साल इस पर चर्चा होती रही और काम बनता बिगड़ता रहा। लेकिन, 2014 के बाद इस मिशन ने रफ्तार पकड़ी और आज भारत मिशन के ट्रायल तक पहुंच गया है।

क्या है मिशन का उद्देश्य?

ISRO ने अब तक सैकड़ों सैटेलाइट्स को लॉन्च किया है, लेकिन कभी कोई यान मानव के साथ अंतरिक्ष में नहीं भेजा। अब गगनयान के जरिए 4 अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजने की तैयारी चल रही है। साथ ही चारों देश-विदेश में ट्रेनिंग भी ले रहे। सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो गगनयान अगले साल लॉन्च हो जाएगा। इसमें सवार होकर चारों एस्ट्रोनॉट्स सात दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे। फिर वो वापस धरती पर लौट आएंगे।

इस दौरान 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारियों को हासिल किया जाएगा, ताकि भविष्य के मिशन के लिए दूसरे यानों को तैयार किया जा सके। अगर भारत का यह मिशन सफल रहता है तो अमेरिका, रूस, जापान, चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला पांचवा देश बन जाएगा।

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