Ayushman Bharat Yojana: केन्द्र की मोदी सरकार के महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojana) इन दिनों खूब सुर्खियों में है। इस योजना का उद्देश्य सुदूर ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को समुचित इलाज उपलब्ध कराना है। चूकि, भारत एक विकासशील देश हैं और ऐसे में इस तरह की योजनाएं हमारे लिए बेहद खास होती है। ये योजनाएं किसी विषम परिस्थिति में हमारे लिए बेहद सहयोगी साबित होती हैं।
भारत के ज्यादातर राज्यों में आयुष्मान भारत योजना लागू हो चुकी हैं और लाभार्थी इसका लाभ भी उठा रहे हैं। हालांकि, ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पश्चिम बंगाल सरकार और आम आदमी पार्टी (AAP) की दिल्ली सरकार (Delhi Govt.) ने इस योजना से दूर रहने का फैसला लिया है। इसके निर्णय के पीछे आप और ममता सरकार के अपने-अपने तर्क हैं। ऐसे में आइए हम आपको उन कारणों के बारे में बताते हैं जिनका हवाला देकर दिल्ली और बंगाल सरकार (West Bengal) ने आयुष्मान भारत योजना को लागू नहीं किया है।
PM Modi ने दिल्ली और बंगाल सरकार पर साधा था निशाना
दिल्ली और बंगाल की सरकार ने आयुष्मान भारत योजना से दूर रहने का फैसला लिया है। इसको लेकर बीते कल पीएम मोदी (PM Modi) ने दोनों सरकार पर निशाना साधा था। पीएम मोदी ने धनतेरस (Dhanteras) के अवसर पर 12850 करोड़ रुपए से अधिक की चिकित्सा परियोजनाओं की आधारशिला व शिलान्यास किया। उन्होंने इसके अलावा 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए योजना को विस्तार देने का ऐलान किया।
पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि “मुझे दु:ख है कि बंगाल और दिल्ली के बुजुर्ग आयुष्मान योजना के तहत सालाना 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज कवर का लाभ नहीं उठा पाएंगे। ऐसा इसलिए हो रहा है कि क्योंकि दिल्ली और बंगाल सरकार राजनीतिक हितों के कारण इस योजना को लागू नहीं कर रही है।”
दिल्ली में क्यों नहीं लागू है Ayushman Bharat Yojana?
राजधानी दिल्ली में AAP की सरकार ने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना (Ayushman Bharat Yojana) को नहीं लागू करने का फैसला लिया है। इसके पीछे कई सारे तर्क दिए जाते हैं। केन्द्र का कहना है कि ये फैसला राजनीतिक हितों के कारण लिया गया है। हालांकि, AAP की दिल्ली सरकार का तर्क ठीक इससे उलट है। दिल्ली सरकार की ओर से पहले भी स्पष्ट किया जा चुका है कि उनकी अपनी स्वास्थ्य योजनाएं बेहतर तरीके से संचालित हो रही हैं और लोगों का इसका लाभ मिल रहा है। आप सरकार की तमाम स्वास्थ्य योजनाएं लोगों के लिए प्रभावी हैं।
दिल्ली सरकार (Delhi Govt.) में मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj), भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) के रिपोर्ट्स का हवाला दे कर भी कई तर्क दे चुके हैं। उनका कहना है कि “आयुष्मान योजना कागजों तक सिमट कर रह गई है। CAG ने भी इस योजना के डेटाबेस में गलत नाम, फर्जी जन्मतिथि, डुप्लिकेट स्वास्थ्य पहचान पत्र और फर्जी परिवार जैसी कई विसंगतियों को उजागर किया था।”
दिल्ली सरकार का ये भी तर्क है कि “राजधानी के ज्यादातर अस्पतालों में यूपी, हरियाणा, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से लोग इलाज के लिए आते हैं। ये वो राज्य हैं जहां आयुष्मान भारत योजना प्रभावी है। ऐसे में ये साबित करता है कि इस योजना को लेकर ज्यादातर दावे हैं, वास्तविकता दावों से उलट है।”
Mamata Banerjee की बंगाल सरकार का स्टैंड
तृणमूल कांग्रेस (TMC) और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) का गढ़ माने जाने वाले पश्चिम बंगाल में भी आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना (Ayushman Bharat Yojana) नहीं लागू है। इसको लेकर केन्द्र की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर राजनीतिक हित और अन्य कई तरह के आरोप लगाए जाते हैं। बंगाल (West Bengal) की ममता बनर्जी सरकार और केन्द्र की मोदी सरकार के बीच इसको लेकर असंतुलन और खींचतान का माहौल भी देखने को मिलता है।
हालांकि, तमाम चुनौतियों और तनाव के बीच ममता सरकार का मत स्पष्ट है। उनका कहना है कि “बंगाल सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं से राज्यवासी लाभवान्वित हो रहे हैं। राज्य वासियों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधा देने के लिए हमारे पास स्वास्थ्य साथी योजना है जिसके तहत प्रति परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक बुनियादी स्वास्थ्य कवर प्रदान किया जाता है। ऐसे में फिलहाल बंगाल को आयुष्मान भारत योजना की जरूरत नहीं है।”