World Food Day 2024: देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आज वर्ल्ड फूड डे मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य दुनियाभर में मौजूद भूखे लोगों के प्रति जागरूकता फैलाना और उनकी यथासंभव मदद करना है। वर्ल्ड फूड डे (World Food Day 2024) के अवसर पर ईशा फाउंडेशन के संस्थापक, आत्मज्ञानी, योगी, दिव्यदर्शी व लेखक जैसी उपाधि से ख्याति प्राप्त सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) की प्रतिक्रिया सामने आई है।
सद्गुरु (Sadhguru) ने वर्ल्ड फूड डे (World Food Day) के इस खास अवसर पर ऐसा विचार रखा है जिसे सुन कर लोगों की आंखें खुल जाएंगी और भूखों के प्रति उनके मन में एक अलग करुणा भाव जागृत हो सकेगी।
World Food Day 2024 पर Sadhguru के विचार
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ता व आत्मज्ञानी सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने आज वर्ल्ड फूड डे (World Food Day 2024) के अवसर पर अपने विचार रखे हैं। उन्होंने लोगों के मन में भूखों के प्रति करुणा का भाव जगाने के लिए एक अलग दिशा में प्रयास किया है।
सद्गुरु (Sadhguru) का कहना है कि “देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बहुत सारे लोग भूखे हैं। हालाकि लोगों के भूखे होने का कारण भोजन की कमी (Food Crisis) नहीं बल्कि मानव हृदय में प्यार, करुणा और देखभाल की कमी के कारण है। यदि सक्षम लोग चाहें तो भूखों को आसानी से भोजन उलपब्ध कराया जा सकता है।” इस विचार को साझा करने के साथ ही सद्गुरु ने एक तस्वीर भी साझा की है जिसमें वे लोगों को भोजन परोसते नजर आ रहे हैं।
क्या है Sadhguru Jaggi Vasudev के दावे का सच?
वर्ल्ड फूड डे (World Food Day 2024) पर सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) का कहना है कि भोजन की कमी के कारण लोग भूखे नही हैं। भारत के परिपेक्ष्य में देखें तो उनके दावे सही साबित होते नजर आ रहे हैं। दरअसल भारत सरकार देश में उपजे धान (चावल) और गेहूं जैसे अनाज की बड़ी खेंप बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, यमन, श्रीलंका, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, नेपाल, कतर, ओमान और मलेशिया जैसे देशों को निर्यात करती है।
भारत की ओर से 120 देशों में बासमती चावल भी निर्यात किया जाता है। वर्ष 2024 में नॉन-बासमती चावल के निर्यात की बात करें तो ये आंकड़ा 17.78 मिलियन टन है। वहीं 2024-25 में चावल उत्पादन 135.5 मिलियन से 138 मिलियन मीट्रिक टन रहने का अनुमान है जिससे भारी मात्रा में अनाज का निर्यात हो सकेगा।
गेहूं की बात करें तो वर्ष 2022 में 2.32 बिलियन डॉलर का गेहूं भारत की ओर से निर्यात किया गया था। वहीं बाजरा, रागी, ज्वार, कंगनी, कोदो और छद्म बाजरा (कुट्टू और चौलाई) जैसे अनाज भी भारी मात्रा में निर्यात किए जाते हैं। वर्ष 2022-2023 में भारत की ओर से दुनिया के अलग-अलग देशों को 169049.11 मीट्रिक टन बाजरा और बाजरा से जुड़ी वस्तुओं का निर्यात किया गया था जो कि बड़ी खेंप है।
चावल, गेहूं और बाजरा, रागी, ज्वार जैसे अनाजों के निर्यात से स्पष्ट है कि भारत में अनाज की कमी नहीं है। ऐसे में सद्गुरु (Sadhguru) के दावे भी यहां सही साबित होते हुए नजर आ रहे हैं कि यहां भोजन की कमी से कोई भूखा नहीं रहता।
World Food Day 2024 की खास बात
देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में 16 अक्टूबर को वर्ल्ड फूड डे (World Food Day 2024) मनाया जा रहा है। इस खास दिवस का उद्देश्य दुनिया को याद दिलाना है कि भोजन हर व्यक्ति का अधिकार है। वर्ल्ड फूड डे की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के 20वें महासम्मेलन में हुई थी। एफएओ ने वर्ष 1981 में प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर को वर्ल्ड फूड डे मनाने का ऐलान किया था जिसके बाद लगातार इस दिवस को मनाया जाता है।
वर्ल्ड फूड डे (World Food Day Theme) के अवसर पर प्रत्येक वर्ष थीम भी दिए जाते हैं। वर्ष 2024 की बात करें तो इस बार वर्ल्ड फूड डे का थीम ‘Right to foods for a better life and a better future’ (बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए भोजन का अधिकार) है। एफएओ लगातार देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोगों से अपील करती है कि वे भोजन को बर्बाद करने के बजाय उन लोगों तक पौष्टिक भोजन पहुंचाने की कोशिश करें जो भूखें हैं और कुपोषण की मार झेल रहे हैं।