Budhwar Vrat Katha & Aarti Lyrics: हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार बुधवार का दिन गणेश भगवान को समर्पित है। मान्यता है कि बुधवार के दिन गणपति भगवान व भगवान बुध देव की पूजा करने से भक्तों के सभी मंगल कार्य पूर्ण हो जाते हैं। ऐसे में आइए हम आपको बुधवार के दिन की जाने वाली व्रत कथा व आरती (Budhwar Vrat Katha & Aarti Lyrics) के विषय में बताते हैं जिससे की आपकी पूजन प्रक्रिया पूर्ण हो सके।
Budhwar Vrat Katha
एक बार मधुसुदन नाम का एक व्यक्ति अपनी पत्नी को उसके मायके लेने पहुंचा।
जिस दिन मधुसुदन अपनी पत्नी को लेने उसके मायके पहुंचा उस दिन बुधवार था।
मधुसुदन अपनी पत्नी को लेकर जाने लगा तो सास-ससुर ने उन्हें जाने से रोक दिया।
सास-ससुर ने मधुसुदन को बताया कि बुधवार को शुभ काम के लिए यात्रा नहीं करते।
हालांकि मधुसुदन ने इन सब बातों को मानने से इनकार कर दिया और चलने लगा।
तभी उसके सास-ससुर ने उससे गणपति और बुध पूजन करके आने के बारे में पूछा।
मधुसुदन ने जाने की जल्दी में झूठ बोल दिया कि उसने श्री गणेश की पूजा की थी।
इसके बाद मधुसुदन पत्नी को लेकर घर से चला लेकिन उसे रास्ते में कष्ट उठाने पड़े।
उसकी बैलगाड़ी टूट गई जिसकी वजह से उसे पत्नी के साथ दूर तक पैदल चलना पड़ा।
फिर बिना अपराध के गलतफहमी के कारण उसे उस राज्य के राजा ने सजा सुना दी।
इन सब घटनाओं के बाद मधुसुदन को अहसास हुआ कि बुधवार व्रत कितना जरूरी है।
इसके बाद उसने श्री गणेश और बुध देव से क्षमा मांगी और व्रत रखने का वचन दिया।
श्री गणेश एवं बुध देव की कृपा हुई और मधुसुदन अपनी पत्नी के साथ घर पहुंच गया।
मधुसुदन ने इसके बाद से अपनी साथ के साथ बुधवार व्रत का श्रद्धा से पालन किया।
Budhwar Aarti Lyrics
बुधवार के दिन कथा करने के पश्चात बुध देव की आरती भी करनी चाहिए। आरती करने के बाद ही पूजा पूर्ण मानी जाती है। ऐसे में आइए हम आपको बुध देव की आरती उपलब्ध कराते हैं।
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्योछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भरि पीजै॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी। कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥
फूलन सेज फूल की माला। रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥
कंचन थार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी। आरती करें सकल नर नारी॥
नंदनंदन बृजभान किशोरी। परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥
Ganesh Ji ki Aarti Lyrics
बुधवार के दिन विशेष तौर पर भगवान गणपति की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस खास दिन पर गणेश भगवान की पूजा करने से भक्तों के सभी मंगल कार्य पूर्ण होते हैं। ऐसे में आप व्रत कथा के पश्चात यहां भगवान गणेश जी की आरती भी पढ़ सकते हैं।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
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