Chandra Grahan 2023: तुलसी का पौधा कई तरह के आयुर्वेदिक तत्वों से भरपूर होता है तभी इसे घर में रखने की भी सलाह दी जाती है. वहीं हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पौधे का काफी महत्व बताया गया है. जल्द ही 28 अक्टूबर 2023 साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है जिसे इस बार भारत में भी देखा जा सकेगा. ऐसे में ग्रहण काल में कई बातों का ध्यान रखा जाता है और तुलसी के प्रयोग की भी सलाह दी जाती है. आज बताने जा रहें हैं कि चंद्र ग्रहण में तुलसी का प्रयोग करने के फायदों और सफलताओं के बारे सतर्कताओं के बारे में बताने जा रहे हैं।
ग्रहण और सूतक का समय
शरद पूर्णिमा पर इस बार लगने जा रहें चंद्र ग्रहण को भारत समेत दुनियां के कई देशों में देखा जा सकेगा. इंडिया के हिसाब से इसका समय रात 01 बजकर 05 मिनट से लेकर 02 बजकर 26 मिनट तक रहेगा, वहीं इसके सूतक काल 9 घंटे पहले से लगने जा रहे हैं. हर साल चंद्र ग्रहण पर खीर चांद की छाव में रखने का महत्व होता है मगर ग्रहण के चलते इस बार यह नही किया जाएगा.
ग्रहण में क्यों है तुलसी का महत्व
ज्योतिष की मानें तो जब भी चंद्र या फिर सूर्य ग्रहण लगता है इस संसार में मौजूद हर जीवित चीज पर अपना असर डालता है. ऐसे में हमाने आस पास और वातावरण में नकारात्मक शक्तियां तेजी से बढने लग जाती हैं. इन्हीं को कम करने के तुलसी के प्रयोग की सलाह दी जाती है, इसमें पाए जाने वाले तत्व और एंटीऑक्सीडेंट चीजों को खराब होने से बचाते हैं. मान्यताओं के मुताबिक तुलसी को ग्रहण में खाने से सभी तरह की गलत ऊर्जा खत्म हो जाती हैं साथ ही शरीर के लिए यह हमेशा ही फायदा करती है.
प्रयोग और सावधानियां
चंद्र ग्रहण में तुलसी की पत्तियों का प्रयोग करने के लिए कुछ सावधानियों को बरतना जरूरी होता है-
1.ग्रहण का पौधा काफी पवित्र होता है इसलिए इसे ग्रहण के दौरान या फिस सूतक काल में प्रयोग नही करना चाहिए.
2.सूतक शुरू होने से पहले ही तुलसी की पत्तियों को तोड़कर उसका प्रयोग करना चाहिए.
3.चंद्र ग्रहण के सूतक काल में ही पूजा करने की मनाही होती है इसलिए इससे पहले ही खाना और पीने के पानी में तुलसी की पत्ती डालकर उसका सेवन करना चाहिए.
4.दूध को भी खराब होने से बचाने के लिए इसमें भी तुलसी के पत्ते डाले जा सकते हैं.
5.तुलसी के प्रयोग से सेहत की सारी परेशानियां तो ठीक होती ही हैं साथ ही चंद्र ग्रहण में रखा हुआ खाना भी शुद्ध बना रहता है.
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