Chhath Puja 2023: आस्था के बड़े पर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है, इसी क्रम में आज इसका दूसरा दिन पंचमी तिथि को खरना रूप में मनाया जा रहा है. कार्तिक के महीने की इस तिथि का धार्मिक महत्व होता है. इसी दिन से महिलाओं के 36 घंटे के कठोर महाव्रत की शुरूआत हो जाती है. वहीं 19 नवंबर को संध्या अर्घ्य और इसके बाद 20 तारीख को प्रात:अर्घ्य के साथ इस व्रत का पारण किया जाता है. इसके धार्मिक महत्व को देखते हुए यहां इसके शुभ मुहूर्त के साथ खास दिन के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं।
खरना का शुभ मुहूर्त
छठ के पूरे चार दिनों के त्योहार में छठी मैया के साथ ऊर्जा के देव सूर्य का विशेष महत्व होता है. ऐसे में 18 नवंबर के खरना का सुर्योदय का समय 06 बजकर 46 मिनट पर है तो वहीं इस खास दिन के सुर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट पर हो जाएगा. इस दिन विशेष तरह के पकवानों के साथ भोग लगाकर कठिन व्रत की शुरूआत की जाती है.
खरना का विशेष महत्व
छठ पर्व का पहले दिन नहाय खाय के बाद अब दूसरा दिन खरना के रूप में जाना जाता है, इसका मतलब पवित्र यानि साफ करना होता है. इस दिन व्रती महिलाएं शाम को चावल और गुड़ की खीर बनाकर ग्रहण करती है, पूजा के बाद इसे सभी लोगों में प्रसाद के तौर पर बांट दिया जाता है. वहीं परंपरागत रूप से मिट्टी का चूल्हा बनाकर इसी दिन ही ठेकुआ और बाकी के पकवानों को भी बनाया जाता है. छठ के इस दूसरे दिन से ही 36 घंटों तक चलने वाले निर्जला व्रत की शुरूआत हो जाती है.
क्यो व्रत करती है महिलाएं
यहां आपको बता दें कि छठ पर्व में व्रत और पूजन का खासा महत्व होता है, 36 घंटों के इस निर्जला उपवास को काल्याणकारी बताया गया है. इसे संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि और परिवार की उन्नती के लिए रखा जाता है, अमीर से लेकर गरीब तक हर कोई इसे अपनी श्रृद्धा के अनुसार रखता है.
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