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Chhath Puja 2024: ऐसे जुड़ा है छठ पूजा राम और सीता से, यहां जाने आज अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

Chhath Puja 2024: संध्या अर्घ्य के साथ आज छठ का तीसरा दिन है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्यौहार की कड़ी राम और सीता से भी जुड़ी हुई है। ऐसे में आइए जानते हैं पौराणिक कथा और क्यों नेपाल के लोग भी मनाते हैं छठ। इसके साथ-साथ आज किस मुहूर्त में संध्या अर्घ्य दे सकते हैं आप।

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Chhath Puja 2024
Chhath Puja 2024 (सांकेतिक तस्वीर)

Chhath Puja 2024: छठी मैया और भगवान सूर्यदेव को समर्पित बिहार का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2024) का आज संध्या अर्घ्य है। डूबते सूरज को अर्घ्य देकर आज श्रद्धालु इस त्यौहार को मनाएंगे लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर छठ की शुरुआत कैसे हुई जिसका धूम पूरे बिहार में देखा जाता है। आखिर किसने पहली बार किया था छठ। हालांकि इस बारे में अलग-अलग जगह पर अलग-अलग जिक्र आपको मिल जाएंगे लेकिन क्या आपको पता है कि इस पर्व की कड़ी राम और सीता से भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है की मां सीता ने भी इस त्यौहार को मनाया था। आईए जानते हैं पौराणिक कथा और इसके साथ ही आज आप कब संध्या अर्घ्य दे सकते हैं।

क्या है इस Chhath Puja का भगवान राम और सीता से कनेक्शन

अगर राम सीता से इस पर्व को जोड़े तो चंपारण, बिहार और नेपाल के लोगों के बीच यह माना जाता है कि 14 वर्ष तक वनवास के बाद सीता राम के साथ वापस अयोध्या आ गई थी लेकिन राम ने उन्हें राज्य से निकाल दिया था। ऐसे में मां सीता वाल्मीकि आश्रम में रहते हुए पहली दफा छठ मनाई थी। कहा जाता है कि चितवन जिला में नारायणी घाट पर उन्होंने छठ किया था। आपको यह जानकर हैरानी होगी लेकिन चितवन जिला फिलहाल इंडो नेपाल बॉर्डर पर मौजूद है और ऐसे में उस समय मां सीता ने नेपाल में छठ का त्यौहार मनाया था।

इंडो नेपाल बॉर्डर पर मौजूद गंडकी नदी के किनारे आज भी घाट बनाए जाते हैं और लव कुश घाट पर नेपाल के लोग इस त्यौहार का जश्न मनाते हैं। बिहार और नेपाल के बॉर्डर पर छठ का खुमार काफी हद तक देखा जाता है और कई लोग 4 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार को मां सीता की वजह से सेलिब्रेट करते हैं।

Chhath Puja 2024: क्या मां सीता ने की थी पहली दफा छठ

इतना ही नहीं मां सीता से अगर इस पर्व को जोड़े तो एक और कहानी काफी चर्चा में है जिसका जिक्र वाल्मीकि रामायण में मिलता है। इसके मुताबिक रावण वध करने के बाद जब भगवान राम 14 साल बाद अयोध्या वापस आए थे तो पाप से मुक्त होने के लिए वह राजसूय यज्ञ करने वाले थे। इसके लिए उन्होंने ऋषि मुद्गल को नेता भेजा था हालांकि ऋषि इस दौरान अयोध्या आने से मना करते हुए उन्हें अपने आश्रम में बुलाया। ऐसे में जब भगवान राम और सीता वहां पहुंचे तब ऋषि द्वारा छठ के महत्व बताए जाने के बाद उन्होंने पहली बार छठ को मनाया था। हालांकि यह भी एक पौराणिक कथा है। ऐसे में मुंगेर में इस त्यौहार का जश्न देखने को मिलता है। कहा जाता है कि आज भी वह पैरों के चिन्ह मौजूद है जहां मां सीता ने पहली बार छठ पूजा की थी।

Chhath Puja 2024 का शुभ मुहूर्त

नहाय खाय, खरना के बाद आज यानी 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य है जहां ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। अगर इस बारे में बात करें तो ढलते सूरज को अर्घ्य देने के लिए फल मिठाई के साथ लोग आज घाट किनारे पहुंचेंगे और सूर्यास्त से पहले व्रती पानी में जाकर खड़ी हो जाएंगी। वहीं सूर्यास्त के समय एक लोटे में पानी, कच्चे दूध, अक्षत लाल चंदन डालकर फल और मिठाई में कुछ बूंद डालकर भगवान को अर्घ्य दिया जाएगा। शुभ मुहूर्त की बात करें तो 5:31 पर सूर्यास्त है, इस समय संध्या अर्घ्य का अपना महत्व है।

अर्घ्य देते समय इस मंत्र का करें जाप

ढलते सूर्य को संध्या अर्घ्य देते समय आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं जिसका काफी महत्व माना जाता है। मंत्र ये है, “ओम ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।”

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