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Chhath Puja 2024: क्या घर में प्रसूता के होने पर मनाया जाएगा महापर्व छठ? जानें शास्त्रीय मत

Chhath Puja 2024: इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि यदि घर में प्रसूता हो तो छठ महापर्व मनाएंगे या नहीं।

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Chhath Puja 2024
फाइल फोटो- प्रतीकात्मक

Chhath Puja 2024: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को मनाए जाने वाले महापर्व छठ का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। छठ महापर्व (Chhath Puja) को प्रमुख तौर पर यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल के तराई इलाको में धूम-धाम से मनाया जाता है। महापर्व को मनाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से लोग अपने गृह जनपद पहुंचते हैं और परिजनों के साथ आयोजन का हिस्सा बनते हैं। वर्ष 2024 की बात करें तो छठ महापर्व (Chhath Puja 2024) की शुरुआत 5 नवंबर को नहाय खाय (Nahay Khaye) के साथ होगी।

6 नवंबर को खरना (Kharna), 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) और 8 नवंबर को उषा अर्घ्य (Usha Arghya) के साथ छठ महापर्व संपन्न हो जाएगा। छठ महापर्व में प्रकृति, उषा, वायु, जल आदि से भी जुड़ा होता है। छठ महापर्व (Chhath Mahaparv) को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। उनमें एक सवाल ये है कि क्या घर में प्रसूता (नवजात शिशु को जन्म देने वाली महिला) के होने पर महापर्व छठ मनाया जाएगा? ऐसे में आइए हम आपको शास्त्रीय मत के हवाले से इस सवाल का जवाब देने और छठ महापर्व की अन्य विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं।

Chhath Puja 2024: क्या घर में प्रसूता के होने पर मनाया जाएगा महापर्व छठ?

प्रसूता का आशय उस स्त्री से है जिसने हाल ही में संतान को जन्म दिया हो। ऐसे में छठ महापर्व (Chhath Puja 2024) पर यदि आपके घर में प्रसूता है तो क्या छठ महापर्व मनाया जाएगा ये बड़ा सवाल है? सामान्यत: बच्चे के जन्म के बाद सूतक काल का जिक्र किया जाता है। शास्त्रीय मत की मानें तो बच्चे के जन्म के समय माता और बच्चा कुछ दिनों तक अशुद्ध रहते हैं। ऐसे में तय अवधि (विभिन्न वर्गों के लिए सूतक की अवधि अलग-अलग होती है) में पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान करने, मंदिर जाने या अन्य किसी धार्मिक स्थान पर जाने की मनाही होती है।

छठ महापर्व (Chhath Puja) की बात करें इस दिन महिलाएं छठ घाट पर जाती है और छठ माता व सूर्य देव की अराधना करती हैं। ऐसे में अगर छठ महापर्व के दिन या कुछ दिन आगे-पीछे आपके घर में बच्चे का जन्म हो तो प्रसूता को छोड़ छठ महापर्व को नहीं मनाया जा सकता है। यही शास्त्रीय मत है। हालाकि इसके लिए वैकल्पिक इंतजाम हैं। शास्त्रीय मत की मानें तो ऐसी स्थिति में व्रती महिलाएं पूजा-पाठ व घाट पर पहुंचे बिना मन में आस्था लिए खड़ा व्रत रख सकती हैं। इसके अलावा छठ पूजा के लिए लगने वाले तमाम सामान को किसी अन्य महिला को देकर उनसे व्रत करने को कहा जा सकता है। ऐसा कर आप घर में प्रसूता के होने पर छठ महापर्व मना सकते हैं।

छठ महापर्व का महत्व

छठ महापर्व (Chhath Puja 2024) का विशेष धार्मिक महत्व है। पौराणिक कथाओं की मानें तो इसकी जड़ें सतयुग और द्वापर युग से जुड़ी हैं। मान्यता है कि रावण का वध करने के बाद अयोध्या लौटे प्रभु राम पर रावण वध का पाप था। इससे मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों से सलाह लिया और राजसूय यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के लिए मुग्दल ऋषि ने प्रभु राम और माता सीता को अपने आश्रम पर बुलाया। ऋषि के कहे अनुसार माता सीता ने कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना की और व्रत रखा था। यहीं से छठ महापर्व का इतिहास रामायण (Ramayan) काल से भी जुड़ा।

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