Holi 2023: होली का त्यौहार वैसे तो हिंदू धर्म में काफी मायने रखते हैं और इसे मनाने के पीछे की वजह भी काफी रोचक है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और यही वजह है कि लोगों के बीच इस त्यौहार का अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। होली से पहले होलिका दहन मनाने की प्रथा है और इस दिन कहा जाता है कि इस दिन होलिका दहन की कथा पढ़कर पूजा करने से पुण्य मिलता है और साथ ही सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है। ऐसे में आप भी इस त्योहार पर होलिका दहन कथा को जरूर पढ़ें। आइए जानते हैं क्या है होलिका दहन की कथा।
हिरणकश्यप और प्रह्लाद की कहानी
होलिका दहन के मौके पर असुर राजा हिरणकश्यप और भकत प्रह्लाद की कथा पढ़ी जाती है। इस कथा का महत्व जगजाहिर है और आप इस कथा की खासियत से वाकिफ नहीं होंगे। कहा जाता है कि हिरणकश्यप खुद को भगवान मानता था और प्रजा से उसकी पूजा करने को कहता था। हिरणकश्यप को इस बात का घमंड था कि उसकी शक्तियां किसी भगवान से कम नहीं है इसलिए वह प्रजा के बीच खौफ बरकरार रखने के लिए अपनी पूजा करने का निर्देश दे दिया और साथ ही यह भी कहा कि उसके अलावा अगर किसी ने कोई और भगवान की पूजा की तो अंजाम सही नहीं होगा।
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आग में बैठ गए थे भक्त प्रह्लाद
वहीं, हिरणकश्यप के बेटे यानी प्रह्लाद भगवान विष्णु के परमभक्त थे। प्रह्लाद की भक्ति से हिरणकश्यप काफी परेशान था और उसने कई बार उसे समझाया लेकिन प्रह्लाद पर असर नहीं पड़ा। इस हठ को देखककर हिरणकश्यप अपने बेटे को भस्म करने का सोचा और उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया। दरअसल होलिका को वरदान में एक दुशाला मिली थी जिसे ओढ़ने के बाद आग उसे छू भी नहीं सकती है बस क्या था होलिका आग में बैठ गयी प्रह्लाद को अपने गोद में लेकर और उसने दोशाला ओढ़ रखी थी। भगवान की महिमा कहे कि तेज हवा चली और प्रह्लाद के ऊपर वह दोशाला चला गया और होलिका जलकर भस्म हो गयी और प्रह्लाद का बालबांका भी नहीं हुआ। बस इसी दिन से होलिका दहन का रिवाज है।
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