Holi 2024: होली त्योहार की तैयारियां पूरे देश में जोरों से चल रही है लेकिन होली से पहले होलिका दहन की परंपरा है। होलिका के रूप में बुराई जल गई और अच्छाई के रूप में भक्त प्रहलाद बच गए थे। उसी दिन से होली को जलाने की प्रथा है। भक्त प्रहलाद के जीवित बचने की खुशी में होली का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिरण्यकश्यप और होलिका दहन का यूपी के हरदोई जिले से गहरा नाता है। इस बारे में कहानी भी काफी प्रचलित है आईए जानते हैं।
होली की शुरुआत को लेकर कई मान्यताएं
होलिका दहन और होली की शुरुआत को लेकर कई मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि भारत में इसकी शुरुआत बिहार के पूर्णिया जिले से हुई थी तो इस लिस्ट में यूपी का हरदोई जिला भी शामिल है। दावा किया जाता है कि यूपी के हरदोई जिले से ही होलिका दहन शुरू हुआ था क्योंकि यहां के राजा हिरण्यकश्यप थे। पिता होने के बावजूद हिरण्यकश्यप प्रहलाद पर काफी जुर्म करते थे क्योंकि वह भगवान विष्णु के भक्त थे। अपने बेटे की भक्ति से खफा होकर उसे मारने के लिए हिरण्यकश्यप में अपनी बहन होलिका से मदद मांगी।
इस तरह हुई थी होली की शुरुआत
राजा हिरण्यकश्यप की बात को मानकर होलिका अपने भतीजे को प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई थी। इसके बाद वह आग में जलकर भस्म हो गई थी। कहा जाता है कि आज भी हरदोई में यह कुंड स्थित है। हरदोई का पहला नाम हरि द्रोही था जिसका मतलब भगवान का दुश्मन होता है। वहीं होलिका के मरने के बाद वहां के लोगों ने खुशी में होली मनाई थी और यहां बड़े ही धूमधाम से इस त्योहार को मनाया जाता है।
हिरण्यकश्यप की नगरी थी हरदोई
यहां कई ऐसी टीलें हैं जिससे राजा हिरण्यकश्यप की नगरी होने की पुष्टि होती है। इतिहास में इस जगह का अपना एक महत्व है। बेटे प्रहलाद को पहले हिरण्यकश्यप प्यार से भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ने के लिए कहते थे लेकिन बाद में उन पर जुर्म ढाने लगे। जब प्रहलाद अपनी जिद पर रहे तब हिरण्यकश्यप ने उन्हें मारने की साजिश रची। लेकिन भगवान की माया अपरंपार रही और प्रहलाद का बाल बांका नहीं हो सका।
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