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Janmashtami 2024: 30 साल बाद बन रहे अद्भुत संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त से लेकर पूजन समय और मंत्र तक सबकुछ

Janmashtami 2024: जन्माष्टमी के दिन जानिए आखिर कब है पूजा का शुभ मुहूर्त और कब करें व्रत का पारण, इस खास दिन पर इन चीजों का रखें ध्यान, यहां जानिए सब कुछ।

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Janmashtami 2024
Janmashtami 2024

Janmashtami 2024: जन्माष्टमी का त्यौहार 26 अगस्त यानी आज धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दिन कृष्ण भक्त के लिए काफी अहम है और इसका उल्लास हर जगह छाया हुआ है। हर तरफ धूम है। सनातन धर्म में इस पर्व का एक विशेष महत्व माना जाता है और यह दिन भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के जश्न मनाने का है। इसी खास दिन पर भगवान श्री कृष्ण का अवतरण हुआ था। ऐसे में जन्माष्टमी से पहले जानें क्या है पूजन विधि और शुभ मुहूर्त ताकि आप से ना हो कोई गलती। जन्माष्टमी के मौके पर आप भगवान श्री कृष्ण को कुछ इस तरह कर सकते हैं खुश।

कब है पूजन समय

जहां तक जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त की बात करें तो 26 अगस्त की रात 12:06 से लेकर रात के 12:51 तक निशिता पूजा का समय बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर 30 साल बाद अद्भुत संयोग बने हैं इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं क्योंकि शनि ग्रह स्वराशि कुंभ में रहने वाले हैं।

यहां जानिए शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि का प्रारंभ 26 अगस्त यानी कल सुबह 3 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगा और अष्टमी तिथि का समापन 27 अगस्त की मध्यरात्रि में 2 बजकर 19 मिनट पर होगा लेकिन रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 26 अगस्त को दोपहर 03:55 बजे हो रहा है और समापन 27 अगस्त को दोपहर 03:38 बजे होगा। रोहिणी नक्षत्र में भगवान का जन्म हुआ था।

पारण का समय

धर्म शास्त्रों की बात करें तो जन्माष्टमी का पारण रोहिणी नक्षत्र की समाप्ति के बाद होता है। इसके अनुसार 27 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र दोपहर 03:38 बजे खत्म है तो पारण का समय ये बताया जा रहा है। गृहस्थ लोग जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने के बाद पारण कर सकते हैं। इसके लिए देर रात 12:45 बजे से पारण करके जन्माष्टमी व्रत को पूरा कर लें।

इस मंत्र का करें जाप

ओम नमो भगवते वासुदेवाय. ओम कृष्णाय वासुदेवाय गोविंदाय नमो नमः.

यहां जानिए पूजा विधि

सुबह उठकर स्नान करें और पहले भगवान को ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
पूजा के समय बाल गोपाल का श्रृंगार कर विधि विधान से पूजा करें।
बाल गोपाल का पालना सजा दें और उसमें उन्हें झूला झुलाएं।
दूध और गंगाजल से अभिषेक करें और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
चंदन और वैजयंती माला से लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें।
भोग में उन्हें तुलसीदल, फल, मखाने, मक्खन, मिश्री चढ़ाएं।
अंत में धूप दीप दिखकर और भगवान कृष्ण की आरती उतारें।

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