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Navratri 2023: देवी मां और कलश की विदाई में इन बातों का रखें खास ध्यान, जानें विसर्जन का शुभ मुहूर्त

माता जगत जननी की विधी विधान के साथ शुभ मुहूर्त में ही विदाई करनी चाहिए वहीं इस दौरान कुछ खास बातों का ध्यान भी रखना चाहिए जिसके बारे में बताने जा रहें हैं.

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Navratri 2023

Navratri 2023: नौ दिनों तक चलने वाला नवरात्रि का खास पर्व अब अपने समापन की तरफ आगे बढ रहा है. हर कोई देवी का गुणगान करते हुए उनकी पूजा और भक्ति में लीन दिखाई दे रहा है. मान्यताओं के अनुसार महानवमी और दशमी तिथि पर देवी के नवे रूप के साथ उनको शुभ प्रतिमा को विसर्जन कर दिया जाता है कई जगहों पर माता और कलश की विदाई के रूप में भी जाना जाता है. यह जीवन की निरंतरता की और संकेत करता है ऐसे में माता जगत जननी की विधी विधान के साथ शुभ मुहूर्त में ही विदाई करनी चाहिए वहीं इस दौरान कुछ खास बातों का ध्यान भी रखना चाहिए जिसके बारे में बताने जा रहें हैं.

देवी विसर्जन का शुभ मुहूर्त

मान्यताओं के अनुसार जहां भी माता दुर्गा की मुर्ति को नौ दिनों के लिए विराजमान किया जाता है वहां नवरात्रि के समापन के बाद उनकी विदाई भी की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्रि में देवी की प्रतिमा का शुभ मुहूर्त 23 अक्टूबर शाम 5 बजकर 44 मिनट से लेकर अगले दिन 24 अक्टूबर दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक किया जाने वाला है. इस दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखकर आप देवी का शुभ आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

क्यो करते है देवी और कलश का विसर्जन

यहां यह जानना जरूरी है कि दुर्गा माता की विदाई जीवन की निरंतरता की ओर संकेत करती है जहां केवल समय ही साश्वत है और सत्य है. ऐसें में देवी की कृपा सभी पर बनी रहे और सब कल्याण के मार्ग पर आगे बढें ऐसी कामना करनी चाहिए.  

देवी और कलश विसर्जन में इन बातों का रखें ध्यान

1.यहां बता दें कि कलश को देवी आदि शक्ति के प्रतीक को रूप में देखा जाता है जिनके पूजन से हर तरह की बाधाएं दूर होती हैं. इसे विसर्जित करते वक्त बातें बिल्कुल नहीं भूलनी चाहिए-

2.शारदीय नवरात्रि में देवी को विदा करने से पहले मूर्ति की सभी विधी-विधानों के साथ पूजा करें साथ ही अपने मन की मनोकामनाएं मांगे.

3.पूजा के बाद दूर्गा माता के सामने हुई सारी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें और उनके मंत्रों का जाप करें.

4.माता की विदाई के दौरान माता को सिंदूर या गुलाल लगाएं फिर एक दूसरे को भी गुलाल लगाकर गले मिलें.

5.जया माता दी के जयघोष के बीच माता की पवित्र मूर्ति को साफ बहते हुए जल में प्रवाहित करें.

6.जो लोग पूरी नवरात्रि में नौ दिनों तक व्रत पूजन और उपवास करते हैं वो देवी की विदाई के बाद व्रत को खोल सकते हैं.

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