Navratri 2023: अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत मानी जाती है, जोकि अब हो चुकी है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पवित्र पर्व में देवी के 9 शक्ति रूपों के रूप में पूजा जाता है. पहले दिन मां धूमधाम से माता दुर्गा का आगमन किया जाता है हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता शैलपुत्री की पूजा को बताया गया है. मां अम्बे का यह रूप बड़ा ही सौम्य और पावन है जिसकी पूजा करने के विशेष फलों की प्राप्ति होती है. आज यहां आपको देवी के इसी रूप और इनकी पूजा के महत्व के बारें में बताने जा रहे हैं.
मां शैलपुत्री से जुड़ा है पहला दिन
आपको बता दें कि नवरात्रि के पहले दिन देवी के आदि स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा का विधान है. इन्हें राजा हिमावन की पुत्री के रूप में माना जाता है, जो काफी शांत और सौम्य स्वभाव की है, देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से घर के सारे क्लेश दूर होते हैं साथ ही मनवांछित फलों की प्राप्ति भी होती है. सुबह और शाम इनकी पूजा इंसान के जीवन से दरिद्रता को भी दूर कर देती है.
कैसे करें माता पहले दिन माता को प्रसन्न
माता शैलपुत्री की पूजा बेहद सरल है, इसके लिए सुबह प्रात: काल नहा धोकर साफ कपड़े पहन कर देवी पूजा का प्रण लें और मंदिर की सफाई कर लें, इसके बाद देवी की स्थापना कर मन में माता शैल पुत्री को याद करते हुए उनके मंत्र आदि का स्मरण करें. घट स्थापना करे, मां अम्बे का श्रृंगार कर उन्हें माला, रोली, कुमकुम आदि लगाकर घी का दीपक जलाएं. इसके बाद आस्था के साथ आरती गायें और चाहें तो मन में व्रत आदि करने का संकल्प भी ले सकते हैं. माता को भोग लगाकर पूरे प्रसाद को लोगों में बाट दें. बता दें कि नवरात्रि के पूरे नौ दिनों में माता के रूपों से अलग-अलग तरह की ऊर्जा प्रवाहित होती है, जिनकी पूजा करने से यह सकारात्मक ऊर्जाएं हमारे जीवन को भी सुखमय कर देती हैं.
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