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Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन करें ‘देवी कुष्मांडा’ की अराधना, मिलेगा मनोवांछित फल; यहां जानें पूजन विधि

Navratri 2024: इस लेख के माध्यम से हम आपको 'देवी कुष्मांडा' की पूजन विधि, आरती और मंत्र के बारे में विस्तार से बताएंगे।

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Navratri 2024
फाइल फोटो- देवी कुष्मांडा (सांकेतिक तस्वीर)

Navratri 2024: आज रविवार के दिन नवरात्रि का चौथा दिवस है। इस दौरान देवी दुर्गा के ‘कुष्मांडा’ स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। देवी कुष्मांडा का स्वरूप माता के नौ रूपों में से एक है।

मान्यता है कि नवरात्रि (Navratri 2024) में माता कुष्मांडा में समस्त सृष्टि का सृजन करने की शक्ति समाहित है। संस्कृत में कुष्मांडा का आशय ‘कुम्हड़ा’ होता है, जिसमें काफी संख्या में बीज होते हैं, जिनसे नए जीवन का सृजन होता है। ऐसे ही मां कुष्मांडा की महिमा है। आइए हम आपको देवी कुष्मांडा की पूजन विधि, आरती और मंत्र के बारे में विस्तार से बताते हैं।

Devi Kushmanda Pujan Vidhi Video ।। देवी कुष्मांडा पूजन विधि वीडियो

देवी कुष्मांडा की उपासना विधि ‘BHAKTI AAYAM’ यूट्यूब चैनल में प्रसारित वीडियो के आधार पर दी गई है। यदि आप धर्म से जुड़ी मान्यताओं को देखने और सुनने में दिलचस्पी रखते हैं तो ‘BHAKTI AAYAM’ चैनल से अवश्य जुड़ें।

देवी कुष्मांडा की पूजन विधि

नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कुष्मांडा की पूजा करने के लिए भक्तों को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करना होगा। इसके बाद स्थापित कलश के निकट आसन लगाएं और स्थिरता से बैठें। इसके पश्चात माता का ध्यान कर उनकी प्रतिमा पर पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन, पान, सुपारी, लौंग आदि वस्तु चढ़ाएं। तत्पश्चात देवी कुष्मांडा के मंत्रों का जप कर माता की अराधना शुरू करें। अंतत: भोग लगाएं और आरती पढ़कर माता को प्रणाम कर आसन छोड़ें।

देवी कुष्मांडा का पूजन मंत्र

देवी कुष्मांडा का पूजन मंत्र इस प्रकार है-

मंत्र– सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

बीज मंत्र– “ऐं ह्री देव्यै नम:”

स्तुति मंत्र– या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान मंत्र– वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

मान्यता है कि देवी कुष्मांडा की अराधना करने से व्यक्ति को आयु, यश, बल और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

देवी कुष्मांडा की आरती

माता दुर्गा की चतुर्थ स्वरूप देवी कुष्मांडा की आरती इस प्रकार है-

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

डिस्क्लेमर– यह सूचना सिर्फ मान्यताओं और इंटरनेट पर मिलने वाली जानकारी के आधार पर दी गई है। डीएनपी न्यूज नेटवर्क/लेखक किसी भी तरह की मान्यता व जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।

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