Saturday, October 19, 2024
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Navratri 2024: नवरात्रि के छठे दिन करें देवी कात्यायनी की अराधना, रोग-दोष से मिलेगी मुक्ति; जानें पूजन विधि और आरती

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Dussehra 2024: देश के अलग-अलग हिस्सों में आज 12 अक्टूबर को विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरा पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान बड़े-बड़े मैदान में रामलीला का आयोजन किया जाता है जिसे देखने हजारों की संख्या में लोग आते हैं।

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Vijayadashami 2024: देश के विभिन्न हिस्सों में आज विजयादशमी की धूम है। नवरात्रि (Navratri 2024) के 9वें दिन के समापन होने के बाद 10वें दिन इस खास पर्व को धूम-धाम से मनाया जाता है।

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Dussehra 2024: दुर्गा पूजा और नवरात्रि (Navratri 2024) के अंत में मनाए जाने वाले विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरा पर्व को लेकर धूम बढ़ गई है। देश के अलग-अलग हिस्सों में आगामी कल यानी 12 अक्टूबर को दशहरा पर्व (Dussehra 2024) मनाया जाएगा।

Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि का पहर जारी है। ऐसे में आज यानि मंगलवार के दिन देवी दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों के रोग-दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा नवरात्रि (Navratri 2024) में मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद भी मिलता है।

Devi Katyayani Pujan Vidhi Video ।। देवी कात्यायनी पूजन विधि वीडियो

देवी कात्यायनी की उपासना विधि ‘BHAKTI AAYAM’ यूट्यूब चैनल में प्रसारित वीडियो के आधार पर दी गई है। यदि आप धर्म से जुड़ी मान्यताओं को देखने और सुनने में दिलचस्पी रखते हैं तो ‘BHAKTI AAYAM’ चैनल से अवश्य जुड़ें।

मां कात्यायनी की पूजन विधि

देवी कात्यायनी की पूजा करने के लिए भक्तों को सुबह उठकर स्नान-ध्यान करने के पश्चात कलश के निकट आसन लगाकर बैठना होगा। इसके बाद मां कात्यायनी का ध्यान करें। ध्यान के पश्चात माता को अक्षत, कुमकुम, पुष्प, रोली, चंदन आदि चीजें अर्पित करें। तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर माता रानी की चालीसा और आरती का विधि विधान से पाठ करें। इसके बाद नैवेद्य और फल से माता को भोग लगाएं।

देवी कात्यायनी का पूजन मंत्र

देवी कात्यायनी का पूजन मंत्र इस प्रकार है-

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।

ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी, नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्। तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।

ध्यान मंत्र– वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्सिं,
हारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
मनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

देवी कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यायनी।
जय जग माता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहावर दाती नाम पुकारा॥

कई नाम है कई धाम है।
यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी।
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मन्दिर में भगत है कहते॥

कत्यानी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की॥

झूठे मोह से छुडाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करिए।
ध्यान कात्यानी का धरिये॥

हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी माँ को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

डिस्क्लेमर– यह सूचना सिर्फ मान्यताओं और इंटरनेट पर मिलने वाली जानकारी के आधार पर दी गई है। डीएनपी न्यूज नेटवर्क/लेखक किसी भी तरह की मान्यता व जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।

Gaurav Dixit
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गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

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