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Navratri 2024: नवरात्रि के छठे दिन करें देवी कात्यायनी की अराधना, रोग-दोष से मिलेगी मुक्ति; जानें पूजन विधि और आरती

Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि के छठे दिन यानी मंगलवार को देवी कात्यायनी की पूजा विधि-विधान के साथ की जाएगी।

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Navratri 2024
फाइल फोटो- देवी कात्यायनी (सांकेतिक तस्वीर)

Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि का पहर जारी है। ऐसे में आज यानि मंगलवार के दिन देवी दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों के रोग-दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा नवरात्रि (Navratri 2024) में मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद भी मिलता है।

Devi Katyayani Pujan Vidhi Video ।। देवी कात्यायनी पूजन विधि वीडियो

देवी कात्यायनी की उपासना विधि ‘BHAKTI AAYAM’ यूट्यूब चैनल में प्रसारित वीडियो के आधार पर दी गई है। यदि आप धर्म से जुड़ी मान्यताओं को देखने और सुनने में दिलचस्पी रखते हैं तो ‘BHAKTI AAYAM’ चैनल से अवश्य जुड़ें।

मां कात्यायनी की पूजन विधि

देवी कात्यायनी की पूजा करने के लिए भक्तों को सुबह उठकर स्नान-ध्यान करने के पश्चात कलश के निकट आसन लगाकर बैठना होगा। इसके बाद मां कात्यायनी का ध्यान करें। ध्यान के पश्चात माता को अक्षत, कुमकुम, पुष्प, रोली, चंदन आदि चीजें अर्पित करें। तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर माता रानी की चालीसा और आरती का विधि विधान से पाठ करें। इसके बाद नैवेद्य और फल से माता को भोग लगाएं।

देवी कात्यायनी का पूजन मंत्र

देवी कात्यायनी का पूजन मंत्र इस प्रकार है-

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।

ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी, नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्। तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।

ध्यान मंत्र– वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्सिं,
हारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
मनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

देवी कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यायनी।
जय जग माता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहावर दाती नाम पुकारा॥

कई नाम है कई धाम है।
यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी।
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मन्दिर में भगत है कहते॥

कत्यानी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की॥

झूठे मोह से छुडाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करिए।
ध्यान कात्यानी का धरिये॥

हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी माँ को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

डिस्क्लेमर– यह सूचना सिर्फ मान्यताओं और इंटरनेट पर मिलने वाली जानकारी के आधार पर दी गई है। डीएनपी न्यूज नेटवर्क/लेखक किसी भी तरह की मान्यता व जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।

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