Monday, November 18, 2024
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Navratri 2024: नवरात्रि के तीसरे दिन करें देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की अराधना, रोग से मिलेगा छूटकारा; जानें पूजा विधि

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Dussehra 2024: देश के अलग-अलग हिस्सों में आज 12 अक्टूबर को विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरा पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान बड़े-बड़े मैदान में रामलीला का आयोजन किया जाता है जिसे देखने हजारों की संख्या में लोग आते हैं।

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Vijayadashami 2024: देश के विभिन्न हिस्सों में आज विजयादशमी की धूम है। नवरात्रि (Navratri 2024) के 9वें दिन के समापन होने के बाद 10वें दिन इस खास पर्व को धूम-धाम से मनाया जाता है।

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Dussehra 2024: दुर्गा पूजा और नवरात्रि (Navratri 2024) के अंत में मनाए जाने वाले विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरा पर्व को लेकर धूम बढ़ गई है। देश के अलग-अलग हिस्सों में आगामी कल यानी 12 अक्टूबर को दशहरा पर्व (Dussehra 2024) मनाया जाएगा।

Navratri 2024: शारदीय नावरात्रि का पहर जारी है। आज नवरात्रि का तीसरा दिवस है। नवरात्रि के तीसरे दिन भक्तों को देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। ये मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप होने के साथ देवी के नौ शक्तियों में से एक है। मान्यता है कि नवरात्रि (Navratri 2024) में देवी चंद्रघंटा की अराधना से भक्तों को रोग से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में सुख, संपदा, वैभव, यश का आमद होता है। ऐसे में आइए हम आपको आज देवी चंद्रघंटा की पूजन विधि के बारे में बताते हैं।

Devi Chandraghanta Pujan Vidhi ।। देवी चंद्रघंटा पूजन विधि

देवी चंद्रघंटा की उपासना विधि ‘BHAKTI AAYAM’ यूट्यूब चैनल में प्रसारित वीडियो के आधार पर दी गई है। यदि आप धर्म से जुड़ी मान्यताओं को देखने और सुनने में दिलचस्पी रखते हैं तो ‘BHAKTI AAYAM’ चैनल से अवश्य जुड़ें।

देवी चंद्रघंटा का स्वरूप

मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप में विख्यात देवी चंद्रघंटा का स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। देवी चंद्रघंटा के दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है।

देवी चंद्रघंटा की पूजन विधि

देवी चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान कर लें। इसके बाद स्थापित कलश के निकट आसन बिछाएं और स्थिर रूप से बैठें। माता का ध्यान करें और फिर इत्मीनान से देवी की अराधना करें। अराधना के दौरान ही देवी चंद्रघंटा को पुष्प, अक्षत, रोड़ी, चंदन, दुर्बा, हल्दी, पान, सुपारी, लौंग आदि अर्पित करें। इसके बाद माता की प्रतिमा के समक्ष पंचामृत और नैवेद्य का भोग लगाएं। तत्पश्चात वी चंद्रघंटा के मंत्रों का जाप करें और फिर मां की आरती करें।

देवी चंद्रघंटा का पूजन मंत्र

देवी चंद्रघंटा की पूजा इस मंत्र के जप के साथ की जा सकती है-

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

देवी चंद्रघंटा का महामंत्र– या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

देवी चंद्रघंटा का बीज मंत्र– ‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’

धार्मिक मान्यता है कि देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को रोग से मुक्ति मिलने के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा भक्तों के तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, और संयम में भी वृद्धि होती है।

देवी चंद्रघंटा की आरती

देवी चंद्रघंटा की आरती इस प्रकार है-

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण।।

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।
करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।

मधुर वाणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

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