Navratri 2024: शारदीय नावरात्रि का पहर जारी है। आज नवरात्रि का तीसरा दिवस है। नवरात्रि के तीसरे दिन भक्तों को देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। ये मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप होने के साथ देवी के नौ शक्तियों में से एक है। मान्यता है कि नवरात्रि (Navratri 2024) में देवी चंद्रघंटा की अराधना से भक्तों को रोग से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में सुख, संपदा, वैभव, यश का आमद होता है। ऐसे में आइए हम आपको आज देवी चंद्रघंटा की पूजन विधि के बारे में बताते हैं।
Devi Chandraghanta Pujan Vidhi ।। देवी चंद्रघंटा पूजन विधि
देवी चंद्रघंटा की उपासना विधि ‘BHAKTI AAYAM’ यूट्यूब चैनल में प्रसारित वीडियो के आधार पर दी गई है। यदि आप धर्म से जुड़ी मान्यताओं को देखने और सुनने में दिलचस्पी रखते हैं तो ‘BHAKTI AAYAM’ चैनल से अवश्य जुड़ें।
देवी चंद्रघंटा का स्वरूप
मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप में विख्यात देवी चंद्रघंटा का स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। देवी चंद्रघंटा के दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है।
देवी चंद्रघंटा की पूजन विधि
देवी चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान कर लें। इसके बाद स्थापित कलश के निकट आसन बिछाएं और स्थिर रूप से बैठें। माता का ध्यान करें और फिर इत्मीनान से देवी की अराधना करें। अराधना के दौरान ही देवी चंद्रघंटा को पुष्प, अक्षत, रोड़ी, चंदन, दुर्बा, हल्दी, पान, सुपारी, लौंग आदि अर्पित करें। इसके बाद माता की प्रतिमा के समक्ष पंचामृत और नैवेद्य का भोग लगाएं। तत्पश्चात वी चंद्रघंटा के मंत्रों का जाप करें और फिर मां की आरती करें।
देवी चंद्रघंटा का पूजन मंत्र
देवी चंद्रघंटा की पूजा इस मंत्र के जप के साथ की जा सकती है-
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
देवी चंद्रघंटा का महामंत्र– या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
देवी चंद्रघंटा का बीज मंत्र– ‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’
धार्मिक मान्यता है कि देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को रोग से मुक्ति मिलने के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा भक्तों के तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, और संयम में भी वृद्धि होती है।
देवी चंद्रघंटा की आरती
देवी चंद्रघंटा की आरती इस प्रकार है-
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण।।
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।
करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।
मधुर वाणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।