Thursday, December 19, 2024
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Navratri 2024: देवी शैलपुत्री की अराधना के साथ शारदीय नवरात्रि का आरंभ, जानें पूजा विधि से लेकर सभी धार्मिक मान्यताएं

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Dussehra 2024: देश के अलग-अलग हिस्सों में आज 12 अक्टूबर को विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरा पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान बड़े-बड़े मैदान में रामलीला का आयोजन किया जाता है जिसे देखने हजारों की संख्या में लोग आते हैं।

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Vijayadashami 2024: देश के विभिन्न हिस्सों में आज विजयादशमी की धूम है। नवरात्रि (Navratri 2024) के 9वें दिन के समापन होने के बाद 10वें दिन इस खास पर्व को धूम-धाम से मनाया जाता है।

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Dussehra 2024: दुर्गा पूजा और नवरात्रि (Navratri 2024) के अंत में मनाए जाने वाले विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरा पर्व को लेकर धूम बढ़ गई है। देश के अलग-अलग हिस्सों में आगामी कल यानी 12 अक्टूबर को दशहरा पर्व (Dussehra 2024) मनाया जाएगा।

Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि का आरंभ आज यानी 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से हो चुका है। नवरात्रि के दौरान देवी नवदुर्गा की उपासना की जाती है। इस दौरान नवरात्रि के प्रथम दिवस पर देवी शैलपुत्री की उपासना की होती है। मां शैलपुत्री के नाम और उनके वाहन समेत अन्य कई चीजों को लेकर लोगों मन में कई तरह के सवाल भी होते हैं। ऐसे में आइए हम आपको आज नवरात्रि (Navratri 2024) के प्रथम दिवस पर मां शैलपुत्री की उपासना विधि और उनसे जुड़ी तमाम मान्यताओं के बारे में विस्तार से बताते हैं।

देवी शैलपुत्री का स्वरूप

नवरात्रि (Navratri 2024) के प्रथम दिवस पर हम आपको देवी शैलपुत्री के स्वरूप के बारे में बताएंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री का जन्म हिमालय के यहां हुआ था। इसी कारण उन्हें शैलपुत्री कहा गया है। वृषभ, देवी शैलपुत्री का वाहन है और इसीलिए इन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी जानते हैं। देवी शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। इन्हें प्रथम दुर्गा और सती के नाम से भी जानी जाता है।

देवी शैलपुत्री से जुड़ी धार्मिक मान्यता

देवी शैलपुत्री से जुड़ी एक मार्मिक कहानी भी है। मान्यताओं के अनुसार, एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें भगवान भोलेनाथ को छोड़ कर सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया। हालाकि देवी सती यज्ञ में जाने को व्याकुल थीं। इसके बाद भगवान शंकर ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, पर उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। सती का प्रबल आग्रह देखकर भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी।

देवी सती जब घर पहुंचीं तो उनके पिता दक्ष ने शंकर जी के प्रति अपमानजनक वचन कह दिए जिसे सुन सती को घोर कष्ट हुआ। उन्हें अपने पति का अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने योगाग्नि द्वारा खुद को जलाकर भस्म कर लिया। देवी सती के इस कदम से भगवान भोलेनाथ व्यथित हो उठे और उन्होंने यज्ञ का विध्वंस कर दिया। यही सती पुन: जन्म लेकर शैलपुत्री कहलाईं और इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ।

देवी शैलपुत्री की उपासना विधि

नवरात्रि के पहले दिवस पर देवी शैलपुत्री की उपासना की जाती है। इस दौरान भक्त स्नान-ध्यान के पश्चात पूजा घर में स्थापित कलश के निकट बैठें। इसके बाद देवी ध्यान और उनका आह्वान करें। तत्पश्चात माता को कुमकुम लगाएं, उन्हें सफेद या लाल फूल अर्पित करें। देवी मां के सामने धूप और घी का दीप जलाएं उनका ध्यान करें। इसके बाद भक्त ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:’ मंत्र का जप कर देवी शैलपुत्री की उपासना कर सकते हैं।

देवी शैलपुत्री का पूजन मंत्र

देवी शैलपुत्री का पूजन मंत्र इस प्रकार है-

“वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता।।”
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्।।
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।
ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।

देवी शैलपुत्री की आरती

देवी शैलपुत्री की अराधना के पश्चात भक्त आरती पाठ करें और माता से आशीर्वाद की कामना करें।देवी शैलपुत्री की आरती इस प्रकार है-

शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

देवी की कृपा से होगी मनवांछित फल की प्राप्ति

देवी शैलपुत्री की कृपा से भक्तों को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। जिन भक्तों पर देवी शैलपुत्री का आशीर्वाद होता है उनकी सेहत अच्छी रहती है। उन्हें धन, यश, वैभव और संपदा की प्राप्ति भी होती है।

नोट– देवी शैलपुत्री की उपासना विधि और माता से जुड़ी धार्मिक कथा ‘BHAKTI AAYAM’ यूट्यूब चैनल में प्रसारित वीडियो के आधार पर दी गई है। यदि आप धर्म से जुड़ी मान्यताओं को देखने और सुनने में दिलचस्पी रखते हैं तो ‘BHAKTI AAYAM’ चैनल से अवश्य जुड़ें। ‘BHAKTI AAYAM’ चैनल का यूट्यूब लिंक यहां संलग्न किया गया है।

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

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