Navratri 2024: आज सोमवार के दिन नवरात्रि का पांचवा दिवस है। इस दौरान देवी दुर्गा के स्कंदमाता के स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। देवी स्कंदमाता का स्वरूप माता के नौ रूपों में से एक है।
मान्यता है कि नवरात्रि (Navratri 2024) में माता स्कंदमाता समस्त सृष्टि का सृजन करने की शक्ति समाहित है। संस्कृत में स्कंदमाता का आशय स्कंद की माता होता है। उनका नाम स्कंद से आया है, जो युद्ध के देवता कार्तिकेय का एक वैकल्पिक नाम है, और माता , जिसका अर्थ है मां ऐसे ही मां स्कंदमाता की महिमा है। आइए हम आपको देवी स्कंदमाता की पूजन विधि, आरती और मंत्र के बारे में विस्तार से बताते हैं।
Devi Skandamata Vidhi Video ।। देवी स्कंद माता पूजन विधि वीडियो
देवी स्कंदमाता की उपासना विधि ‘BHAKTI AAYAM’ यूट्यूब चैनल में प्रसारित वीडियो के आधार पर दी गई है। यदि आप धर्म से जुड़ी मान्यताओं को देखने और सुनने में दिलचस्पी रखते हैं तो ‘BHAKTI AAYAM’ चैनल से अवश्य जुड़ें।
देवी स्कंदमाता की पूजन विधि
नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां स्कंदमाता की पूजा करने के लिए भक्तों को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करना होगा। इसके बाद स्थापित कलश के निकट आसन लगाएं और स्थिरता से बैठें। इसके पश्चात माता का ध्यान कर उनकी प्रतिमा पर पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन, पान, सुपारी, लौंग आदि वस्तु चढ़ाएं। तत्पश्चात देवी स्कंदमाता के मंत्रों का जप कर माता की अराधना शुरू करें। अंतत: भोग लगाएं और आरती पढ़कर माता को प्रणाम कर आसन छोड़ें।
देवी स्कंदमाता का पूजन मंत्र
देवी स्कंदमाता का पूजन मंत्र इस प्रकार है-
मंत्र– सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।॥
बीज मंत्र– “ ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम।”
स्तुति मंत्र– या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ध्यान मंत्र- सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्।।
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्।।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल धारिणीम्।।
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां चारू त्रिवली नितम्बनीम्।।
मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होता है और मां आपके बच्चों को दीर्घायु प्रदान करती हैं।
देवी स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कन्द माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता।।
सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी।।
तेरी जोत जलाता रहूं मैं। हरदम तुझे ध्याता रहूं मै।।
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा।।
कही पहाड़ों पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा।।
हर मन्दिर में तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।।
इन्द्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे।।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। तू ही खण्ड हाथ उठाए।।
दासों को सदा बचाने आयी। भक्त की आस पुजाने आयी।।
डिस्क्लेमर– यह सूचना सिर्फ मान्यताओं और इंटरनेट पर मिलने वाली जानकारी के आधार पर दी गई है। डीएनपी न्यूज नेटवर्क/लेखक किसी भी तरह की मान्यता व जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।