Pradosh Vrat 2023: हिंदू धर्म में हर दिन का विशेष महत्व है। सभी दिन को विशेष दर्जा दिया गया है। वहीं सोमवार का दिन महादेव को समर्पित है। इस दिन पूजा अर्चना करने से भक्तों के जीवन में आ रही तमाम परेशानियों का अंत हो जाता है। इतना ही नहीं, कुछ ऐसे अचूक उपाय हैं, जिसे करने से भक्तों को मनचाहा फल मिलता है। इसलिए हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने वाले हैं, जो आज यानी सोमवार के दिन जरूर करें। इन उपायों को करने से महादेव सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
आज के दिन गाय को खिलाएं रोटी
कहा जाता है, प्रदोष व्रत के दिन गाय को रोटी खिलाना बेहद शुभ होता है। वहीं आज के दिन रोटी और गुड गाय को खिलाने से भगवान भक्तों का सभी कष्ट हर लेते हैं। गाय की सेवा से भक्तों को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए प्रदोष व्रत के दिन गाय को गुड और रोटी खिलाएं। इससे कभी भी धन दौलत की कमी नहीं होगी।
खीर का करें दान
धर्म शास्त्र के अनुसार सोमवार के दिन सफेद चीजों को खाना और दान करना दोनों ही बेहद शुभ होता है। इसलिए मान्यताओं के अनुसार, सोमवार के दिन खीर का दान करें। इससे मां लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहेगी। वहीं भगवान शंकर भी प्रसन्न रहेंगे। इससे भगवान भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
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सोमवार के दिन करें शिवलिंग की आराधना
आज के दिन शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से भक्तों की तमाम समस्याओं का निवारण होता है। मान्यताओं के अनुसार, प्रतिदिन शिवलिंग को एक लोटा जल अर्पित करना चाहिए। मगर सोमवार का दिन महादेव को समर्पित है। इसलिए इस दिन भगवान की प्रसन्न करने के लिए सच्चे मन से भगवान को जल अर्पित करें।
आज के दिन करें इस श्लोक का पाठ
नमामिशमीशान निर्वाण रूपं। विभुं व्यापकं ब्रम्ह्वेद स्वरूपं।।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाश माकाश वासं भजेयम।।
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं। गिराज्ञान गोतीत मीशं गिरीशं।।
करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसार पारं नतोहं।।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं। मनोभूति कोटि प्रभा श्री शरीरं।।
स्फुरंमौली कल्लो लीनिचार गंगा। लसद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा।।
चलत्कुण्डलं भू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननम नीलकंठं दयालं।।
म्रिगाधीश चर्माम्बरम मुंडमालं। प्रियम कंकरम सर्व नाथं भजामि।।
प्रचंद्म प्रकिष्ट्म प्रगल्भम परेशं। अखंडम अजम भानु कोटि प्रकाशम।।
त्रयः शूल निर्मूलनम शूलपाणीम। भजेयम भवानी पतिम भावगम्यं।।
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी। सदा सज्ज्नानंद दाता पुरारी।।
चिदानंद संदोह मोहापहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी।।
न यावत उमानाथ पादार विन्दम। भजंतीह लोके परे वा नाराणं।।
न तावत सुखं शान्ति संताप नाशं। प्रभो पाहि आपन्न मामीश शम्भो ।
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