Premanand Maharaj: आधुनिकता के इस दौर में भी अध्यात्म में रुचि लेने वालों की कमी नहीं है। यही वजह है कि सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म पर अध्यात्मिक गुरुओं के दावे और उनकी कही बातों को लोग बेहद गंभीरता से लेते हैं और ज्यादातर उन पर अमल भी करते हैं। हिंदू अध्यात्म की बात करें तो आध्यात्मिक गुरु, संत व दार्शनिक के रूप में लोकप्रियता हासिल कर चुके ‘प्रेमानंद महाराज’ (Premanand Maharaj) का नाम सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहता है और उनके द्वारा किए गए दावों को लेकर खूब चर्चाएं होती हैं।
सोशल मीडिया पर उनके द्वारा कही गई एक बात तेजी से वायरल हो रही है जिसमें वो कुछ शिवभक्तों को ‘ॐ नमः शिवाय’ के बजाय ‘सांब सदाशिव’ मंत्र जपने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे में आइए हम आपको इस पूरे प्रकरण के बारे में विस्तार से बताते हैं और साथ ही ये भी बताते हैं कि ‘सांब सदाशिव’ मंत्र किसे जपने को कहा जा रहा है। (Premanand Maharaj)
Premanand Maharaj का दावा!
हिंदू आध्यात्मिक गुरु, संत व दार्शनिक ‘प्रेमानंद महाराज’ द्वारा की गई बात-चीत का एक अंश सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल है जिसमें वो कुछ शिवभक्तों से ‘ॐ नमः शिवाय’ के बजाय ‘सांब सदाशिव’ मंत्र जपने को कहते सुने जा सकते हैं। प्रेमानंद महाराज की मानें तो ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप ‘गुरु मंत्र’ लेने के पश्चात ही करना चाहिए अन्यथा यह नकारात्मकता की भाव को और पुष्ट कर देगा।
प्रमानंद महाराज का कहना है कि वैदिक मंत्र गुरु पद्धति से ही जपना चाहिए। ऐसे मनमाने ढंग से नहीं जपना चाहिए जैसे लोग आजकल जप रहे हैं। प्रेमानंद मराहाज ने लोगों को सलाह दी है कि ‘गुरु मंत्र’ न लेने वाले लोग ‘ॐ नमः शिवाय’ के बजाय ‘सांब सदाशिव-सांब सदाशिव’ मंत्र का जप कर सकते हैं।
‘सांब सदाशिव’ मंत्र का अर्थ
‘सांब सदाशिव’ मंत्र के अर्थ को समझना बेहद अहम है। इसका अर्थ है ‘माता अंबा (पार्वती) के साथ भगवान शिव’ यानि ”सांब सदाशिव” का उच्चारण कर लोग भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती को एक साथ भजते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि ‘सांब सदाशिव’ का उच्चारण करने से भक्तों को आंतरिक शांति और स्थिरता मिलती है और साथ ही सकारात्मक ऊर्जा आपकी तरफ आकर्षित होती है। इस मंत्र का जप करने से शारीरिक और मानसिक कल्याण में भी सुधार होता है और लोग नकारात्मकता की भाव से बचे रहते हैं।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का अर्थ
‘ॐ नमः शिवाय’ में ‘ॐ’ शब्द का अर्थ है ब्रह्मांड, ‘नम:’ का नमन करना और ‘शिवाय’ का तात्पर्य भगवान भोलेनाथ से है। ऐसे में ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का आशय है कि अर्थ है ‘मैं शिव को नमन करता हूं।’ धार्मिक मान्यता है कि इस मंत्र का जप करने से शरीर में नई ऊर्जा का प्रवाह तेज होता है और व्यक्ति में साहस और उत्साह से भर जाता है। इसके अलावा इसको जपने से तनाव भी कम होता है और लोगों को इंद्रियों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है। हालाकि ‘प्रेमानंद महाराज’ की मानें तो इस मंत्र का जप ‘गुरु मंत्र’ लेने के पश्चात ही करना चाहिए अन्यथा यह नकारात्मकता की भाव को और पुष्ट कर सकता है।
डिस्क्लेमर– यह सूचना लोगों को सामान्य जानकारी के लिए सिर्फ मान्यताओं और इंटरनेट पर मिलने वाली जानकारी के आधार पर दी गई है। डीएनपी न्यूज नेटवर्क/लेखक किसी भी तरह की मान्यता व जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। ऐसे में आप किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।
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