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Raksha Bandhan 2023: बेहद खास है भाई-बहना का राखी का त्यौहार, जानिए इससे जुड़े कुछ रोचक किस्से

इस साल रक्षाबंधन 30 अगस्त को मनाया जाएगा। यह दिन हर भाई-बहन के लिए बेहद खास है। बहनें अपने भाईयों को राखी बांधती है और उससे रक्षा का वचन मांगती है। इस दिन भाई बहनों को गिफ्ट भी देते हैं। मगर क्या आप रक्षाबंधन का इतिहास जानते हैं ? क्या आपको पता है रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है। यदि नहीं तो आज हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ कहानियां बताएंगे। तो चलिए जानते है रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां।

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raksha Bandhan 2023
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Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे भारत में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। आपको बता दे इस साल यह खास पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन का त्यौहार काफी खास माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के हाथों में राखी बांधती है। और अपने भाई से अपनी रक्षा का वचन मांगती हैं। भारत के पर्व त्यौहार यहां की समृद्ध संस्कृति को दर्शाता है। ऐसा ही एक त्यौहार है रक्षाबंधन का त्यौहार। रक्षाबंधन का दिन बेहद स्पेशल होता है।

लेकिन आपने कभी यह सोचा है कि यह त्यौहार कब से मनाया जा रहा है। इस खास पर्व को मनाए जाने के पिछे की क्या मान्यता है। कभी आपने सोचा है कि आखिर क्यो हम यह पर्व मनाते है। यदि नहीं तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां बताने जा रहें हैं।

रक्षाबंधन से जुड़ी ऐतिहासिक कहानी

रानी कर्णावती ने भेजा था हुमायूं को राखी

रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा राणा रतन सिंह की विधवा थी। यह तब की बात है जब भारत पर मुगलों का शासन था। उस समय मुगलों के सम्राट हुमायूं थे। तब मुगलों और हिंदू राजाओं के बिच भीषण युद्ध चल रहा था। चित्तौड़ की रानी कर्णावती को ऐसा लग रहा था कि उनपर खतरा है।

रानी कर्णावती ने बहादुर शाह जफर से अपने राज्य को बचाने के लिए राखी भेजकर हुमायूं से अपने रक्षा की विनती की। हुमायूं ने राखी का मान रखा और रानी कर्णावती को बहन मान रक्षा का वचन दिया। ऐसा कहा जाता है की उसके बाद से यह प्रथा चल गई की बहने अपने भाइयों को राखी बांध कर उनसे रक्षा का वचन मांगेगी।

भगवान श्री कृष्ण और द्रोपदी की कथा

रक्षा बंधन से जुड़ी एक और कथा काफी मशहूर है। कहनी के अनुसार जब महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण और शिशुपाल के बिच युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान शिशुपाल श्री कृष्ण के हाथों मारे गए। युद्ध के समय श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली गंभीर रूप से चोटिल हो गई।

तभी द्रोपदी ने भगवान कृष्ण की तर्जनी उंगली पर अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर बांधा था। साड़ी का टुकड़ा बांधकर द्रोपदी ने खून के बहाव को रोका था। भगवान श्री कृष्ण ने इस बात से प्रसन्न हुए। यही वजह है की द्रोपदी के चीरहरण के समय उनकी लाज बचाई थी।

ऐसी कई कहानियां है जो हमें रक्षाबंधन के महत्व के बारे में बताती है। रक्षाबंधन महज एक पर्व नहीं है बल्की एक भावना है जो हम अपने भाई बहन के प्रति दिखाते है। इस त्यौहार को मनाकर हम अपना स्नेह दर्शाते है। तो आपको रक्षाबंधन की यह कहानियां कैसी लगी?

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