Sawan Shivratri 2024: सावन माह की शिवरात्रि यानी भगवान भोलेनाथ की अराधना के लिए सबसे उत्तम दिनों में से एक दिन। आज यानी शुक्रवार दिनांक 2 अगस्त को सावन माह की शिवरात्रि है और इस खास दिवस पर विधि-विधान के साथ भगवान भोलेनाथ की अराधना करने से भक्तों पर कृपा बरसती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज शिवरात्रि के दिन व्रत रखने के साथ रुद्राभिषेक करने का भी खास महत्व है और इससे भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और उनके धन, वैभव, सुख-संपदा में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए हम आपको सावन के शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2024) की जाने वाले पूजा विधि व अन्य मान्यताओं के बारे में विस्तार से बताते हैं।
सावन माह की शिवरात्रि
सावन माह में पड़ने वाले शिवरात्रि की विशेष धार्मिक मान्यता है। विभिन्न धर्म ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है कि सावन माह में ही सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शंकर जी ने समुद्र मंथन से निकले विष को ग्रहण कर लिया था। इसके बाद विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने शिव जी का जल से अभिषेक करना शुरू कर दिया था जिसको देखते हुए सावन में शिवरात्रि मनाई जाती है और भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है।
सावन की शिवरात्रि पर पूजा विधि
सावन माह का शिवरात्रि दिवस भगवान भोलेनाथ की अराधना के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान, नित्य कर्म आदि करके शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव जी की पूजा करें। कोशिश रहे कि इस दिन भक्त व्रत रखें और 108 बार शिव मंत्र का उचारण करते हुए जलधारा शिव जी को अर्पित करें।
पूजन के दौरान ही नैवेद्य, धूप और दीप चढ़ाकर भगवान शिव को जल अर्पित करें और तत्पश्चात दूध, घी, शहद, दही, तिल, जौ, अक्षत्, बेलपत्र, अर्घ्य, बिजौर आदि अर्पित कर भगवान का प्रार्थना करें। संभव हो तो शिव मंत्र का जाप करें और ब्राह्मणों को भोजन करा कर, फल और फूल अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इससे भक्त के जीवन में सुख-शांति की आमद होती है और उससे वैभव, संपदा में भी वृद्धि होती है।
रुद्राभिषेक का महत्व
सावन के शिवरात्रि वाले दिन रुद्राभिषेक कराने का भी खास महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस खास दिन पर रुद्राभिषेक कराने से व्यक्ति को रोग, दोष, पाप, दु:ख और जीवन में अशांति आदि से मुक्ति मिलती है। शिवभक्त अपनी सुविधा और सहूलियत के अनुसार दूध, दही, घी, गंगा जल, गन्ने का रस, तिल, शहद, गुड़, हल्दी आदि वस्तुओं से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करा सकते हैं जिससे कि उन्हें (भक्तों को) मानसिक शांति, आंतरिक कलेश, रोग, दोष व पाप जैसे तत्वों से मुक्ति मिल सके।