NCERT: एनसीईआरटी के द्वारा इस साल के इतिहास के किताब में बड़ा बदलाव किया गया है। इस बार राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने मुगल काल से जुड़ी चीजों को हटा दिया है। बताया जा रहा है कि ये संसोधन 10वीं, 11वीं और 12 वीं के इतिहास की किताब में हुआ है। इसके साथ – साथ ‘थीम्स ऑफ़ इंडियन हिस्ट्री’ के शीर्षक में भी बदलाव किया गया है। अब छात्र इसके अंतर्गत आने वाली जानकारियों का अध्ययन तीन भागों में करेंगे। इतिहास की किताब के पाठ 9 से राजा और इतिहास और मुग़ल दरबार के चैप्टर को भी हटा दिया गया है।
वहीं एनसीआरटी की बेवसाइट ने भी कई बड़े बदलाव किए हैं। वेबसाइट को लेकर ये कहा जा रहा है कि मुग़ल शासकों पर केंद्रित अध्याय को अब वेबसाइट से भी हटा दिया गया है। एनसीईआरटी के द्वारा इतिहास की किताब से पूर्व मुग़ल शासक से संबंधित जानकारी को हटाए जाने के बाद लोगों का मानना है कि ऐसा करने से भारतीय इतिहास से मुगलों को हटाने की कोशिश की जा रही है।
किताब से जुड़ी दी गई ये जानकारी
वहीं एनसीईआरटी की तरफ से इतिहास के किताब में हुए इस बदलाव के बाद बताया गया है कि अभी भी ऐसे अध्याय मौजूद है जिनमें मुग़ल काल से जुड़ी हुई जानकारी दी गई है। अध्याय पांच के जिक्र करते हुए ये बताया गया है कि इसमें मुगलों को यात्रियों के नजरियों से दिखाया गया है। इस अध्याय में मुगल से संबंधित दसवीं से सत्रहवीं सदी के बीच उनके भारत यात्रा का जिक्र है। वहीं आज भी छात्रों की जानकारी के लिए अध्याय छ में सूफी संतों और उनके परंपरा से जुड़ी जानकारियां प्रदान की गई है। अध्याय आठ के पाठ का नाम ही किसान, ज़मींदार और राज्य, कृषि समाज और मुग़ल साम्राज्य है। इस पाठ में भी छात्रों के लिए जानकारियां प्रदान की गई हैं।
एनसीईआरटी के प्रमुख दिनेश सकलानी ने कही ये बात
वहीं इतिहास की किताब में हुए बदलाव को लेकर एनसीईआरटी के प्रमुख दिनेश सकलानी ने बताया है कि “मुगलों के इतिहास को हटाया नहीं गया है बल्कि छात्रों के ऊपर बढ़ रहे पढाई के बोझ को कम करने के लिए पाठ्यक्रम से जुड़ी कुछ हिस्सों में बदलाव किया गया है। उन्होंने कोविड का हवाला देते हुए बताया है कि कोविड के कारण ही छात्रों की पढाई का बहुत नुकसान हुआ था।
ऐसे में उनके पाठ्यक्रम के बोझ को कम कर दिया गया है। वहीं उन्होंने ये जानकारी दी है की राजनीति शास्त्र की किताब में भी बदलाव किया गया है। वहीं राजनीति शास्त्र को लेकर ये बताया गया है कि इस किताब से ऐसी चीजों को हटाया गया है जिसमें महात्मा गांधी को हिन्दू लोगों के खिलाफ नापसंदीदगी का जिक्र है।
इसके साथ ही उनकी हत्या के बाद लगे आरएसएस पर प्रतिबन्ध वाली जानकारी को भी हटाया गया है। राजनीति शास्त्र में एक वाक्य था ‘वो पुणे के ब्राह्मण थे’ यह वाक्य नाथूराम गोडसे से जुड़ा हुआ था ऐसे में इसको भी एनसीईआरटी के द्वारा हटा दिया गया है। गुजरात दंगे से संबंधित तीसरे और अंतिम संदर्भ की जानकारी को कक्षा 11 के समाज शास्त्र की किताब से हटाया गया है।
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इन राज्यों में हो रहा है विरोध
वहीं इतिहास के किताब में हुए इस बदलाव को लेकर पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल सहित देश के अन्य हिस्सों में इसका विरोध किया जा रहा है। वहीं कुछ जगह के शिक्षा मंत्रियों ने इसके समीक्षा किए जाने की बात कही है। वहीं उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने इस बदलाव का पूरी तरह से समर्थन किया है। इतिहास के किताब में हुए बदलाव को लेकर डी राजा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इसको लेकर कहा है कि ” इतिहास की किताब में हुआ बदलाव आरएसएस का प्रयास है। सरदार पटेल के द्वारा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर बैन लगा दिया गया था। यह बैन नफरत और हिंसा को खत्म करने के लिए लगाया गया था। इस तथ्य को भी कभी भी छुपाया नहीं जा सकता है।”
एनसीईआरटी ने दिया ये तर्क
एनसीईआरटी की तरफ से ये कहा गया है कि हर साल बच्चों से और परिजनों से और शिक्षकों से सुझाव लिया जाता है। इस सुझाव में लोग कुछ गलतियों को बताते हैं और साथ ही नए तरीके के सुझाव को हमें देते हैं। ऐसे में इस सुझाव के द्वारा ही किताबों में किसी भी तरह का बदलाव किया जाता है। किताबों में अक्सर बदलाव होते रहते है।
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